सोना एक ऐसी धातु है, जिसकी कीमतें आसमान तक पहुंच चुकी हैं. इतनी महंगी होने के बावजूद सोना पहनने का शौक कम नहीं हो रहा है, यानी बाजार में सोने की मांग जस की तस है. सोने की बढ़ती मांग के कारण इसकी माइनिंग भी तेजी से हो रही है, इसके बावजूद सोने के दाम कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जिस सोने को खदानों से खुदाई करके निकाला जाता है उसे वैज्ञानिक लैब में भी बना सकते हैं.
बात चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन यह सच है. वैज्ञानिक लैब में कुछ प्रयोग करके सोना बना सकते हैं. ऐसे में क्या आपके मन में भी सवाल आता है कि जब सोना लैब में बनाया जा सकता है तो खदानों की खुदाई से ही सोना क्यों निकाला जा रहा है. वैज्ञानिक क्यों नहीं लैब में सोना बनाकर लोगों की जरूरत पूरी करते हैं.
किससे बना होता है सोना?
लैब में सोना बनाने का तरीका जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि सोना किससे बना होता है और इसमें क्या-क्या होता है. बता दें, सोना एक रासायनिक तत्व है, जिसके हर परमाणु नाभिक में 79 प्रोटोन होते हैं. यानी 79 प्रोटोन वाला एक परमाणु गोल्ड परमाणु है और इसमें दूसरे तत्वों की मिलावट न के बराबर होती है.
लैब में कैसे बन सकता है सोना?
लैब में सोना बनाने के लिए वैज्ञानिकों को 79 प्रोटोन वाला एक परमाणु तैयार करना होगा, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. इसके लिए वैज्ञानिकों को या तो 80 प्रोटोन वाले पारा (मर्करी) से एक प्रोटोन को अलग करना होगा, या 78 प्रोटोन वाले प्लेटिनम में एक प्रोटोन को शामिल करना होगा. हालांकि, प्रोटोन को अलग करना या शामिल करना एक कठिन प्रक्रिया है. यह केवल न्यूक्लियर रिएक्शन से ही संभव है. इसके लिए वैज्ञानिकों को न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करना होगा और जरूरी सामग्री भी जुटानी होगी.
खदानों से ही क्यों निकाला जाता है सोना?
लैब में सोना बनाने के लिए वैज्ञानिकों को न्यूक्लियर रिएक्शन प्रक्रिया की जरूरत होती है, जिसके लिए न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करना अनिवार्य है. यह काफी महंगा और जटिल काम है. इस प्रक्रिया से सोना तो बनाया जा सकता है, लेकिन इसमें जितना खर्च आएगा उसकी भरपाई सोना बेचने से भी नहीं हो सकती. वहीं खदानों से सोना निकालना इसकी तुलना में काफी आसान है और वैज्ञानिकों ने सोना निकालने के लिए ऐसे तरीके खोजे हैं, जो काफी आसान है सस्ते भी हैं.
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