दिल्ली एक्सीडेंट मामले में आरोपियों पर लगी धारा 304 क्या दिला पाएगी सजा? जानिए क्या कहता है कानून
हिट एंड रन के केस में ज्यादातर यही धारा लगाई जाती है. हालांकि, यह एक जमानती धारा है और इसमें आरोपियों को जमानत आसानी से मिल जाती है.
जब पूरा देश नए साल के जश्न में डूबा था, उस रात देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने सभी को झकझोर दिया. कार सवार 5 लड़कों पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने पहले एक लड़की के स्कूटी को टक्कर मारी और फिर उसकी बॉडी को कई किलोमीटर तक घसीटा, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. घटना इतनी भयानक थी कि जब पुलिस को उस लड़की का शव मिला तो वह बिल्कुल निर्वस्त्र हालत में था. इस पूरे मामले ने देश की जनता में आक्रोश पैदा कर दिया और सोशल मीडिया पर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग होने लगी. पुलिस ने भी आरोपियों को तुरंत कार्रवाई करते हुए हिरासत में ले लिया और उन पर धारा 279, 304, 304ए और 120बी लगा दी. आज इस आर्टिकल में बताएंगे कि आखिर पुलिस द्वारा इन धाराओं को लगाने के बाद आरोपियों को कितनी सजा मिलेगी.
धारा 304 में कितनी मिलती है सजा
इस केस में पुलिस द्वारा लगाई गई सभी धाराओं में ये धारा सबसे मजबूत है. आपको बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है. इस मामले में अगर कोई आरोपी दोषी पाया जाता है, तो अपराध की गंभीरता के आधार पर उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है. आपको बता दें हत्या के सभी अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आते हैं. लेकिन, गैर इरादतन हत्या का दायरा काफी बड़ा होता है और सभी गैर इरादतन हत्याओं को आप सीधे तौर पर हत्या नहीं कह सकते हैं। गैर इरादतन हत्या का मतलब होता है कि आपने किसी व्यक्ति को ऐसी चोट पहुंचाई जिससे उसकी मौत हो गई, हालांकि, चोट पहुंचाते वक्त आपको इसका अंदाजा नहीं था कि सामने वाले व्यक्ति की इससे मौत हो जाएगी.
धारा 304 ए क्या कहती है
304ए ये थोड़ी हल्की धारा होती है और ये किसी पर तब लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन में या उपेक्षापूर्ण तरीके से किए किसी ऐसे कार्य से हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो. हिट एंड रन के केस में ज्यादातर यही धारा लगाई जाती है. हालांकि, यह एक जमानती धारा है और इसमें आरोपियों को जमानत आसानी से मिल जाती है. लेकिन अगर इस धारा में आरोपियों को सजा होती है तो उनहें दो साल की कैद या फिर जुर्माना देना होगा. या फिर आरोपियों को दोनों से दंडित किया जा सकता है.
धारा 279 क्या कहती है
साफ शब्दों में कहें तो यह धारा लापरवाही से गाड़ी चलाने को लेकर लगाई जाती है. यानि अगर आप किसी सार्वजनिक जगह पर लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं जिससे दूसरों की जान को खतरा पैदा होता है तो यह धारा आप पर लगा दी जाती है. आईपीसी की इस धारा के तहत आरोपी पर अगर गुनाह साबित हुआ तो उसे अधिकतम तीन महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना देना होगा. कुछ मामलों में ये दोनों सजा हो सकती है.
धारा 120 बी क्या कहती है
आईपीसी की धारा 120 बी को सीधे शब्दों में परिभाषित करें तो यह किसी अपराध की साजिश रचने को लेकर है. हालांकि, आम तौर पर इसमें मामूली आपराधिक घटनाओं को ही शामिल किया जाता है. इस धारा के तहत आपराधी को सजा के नाम पर 6 महीने से अधिक की जेल नहीं हो सकती है.
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