देखिए कैसे होता है एक ग्रह का जन्म, हबल टेलीस्कोप में कैद हुई अद्भुत तस्वीर
द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में पब्लिश हुई एक स्टडी में बताया गया है कि जिस हिसाब से इस तारे के आस पास धूल के कण इकट्ठा हो रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि बृहस्पति से भी बड़े एक तारे का जन्म होगा.
रात में जब आसमान की तरफ आप देखते हैं तो हर तरफ टिमटिमाते तारे दिखाई देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी समझना चाहा कि आसमान में दिखने वाले ये तारे बनते कैसे हैं. इनका जन्म कैसे होता है? अगर आप नहीं जानते तो चलिए आज आपको इसी के बारे में बताते हैं. इसके साथ आपको बताते हैं एक तारे के जन्म की पूरी प्रक्रिया क्या होती है.
कैसे होता है एक तारे का जन्म?
हाल ही में हबल टेलीस्कोप ने एक शानदार तस्वीर ली जिसमें एक युवा तारा प्रणाली गैस के विशाल गुच्छों से घिरी नजर आई. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये घटना बहुत जल्द एक ऐसे ग्रह को जन्म देगी जो बृहस्पति से भी बड़ा होगा. इस नए ग्रह को नाम दिया गया है V960Mon. युरेकलार्ट की रिपोर्ट का कहना है कि ये ग्रह पृथ्वी से लगभग पांच हजार प्रकाश वर्ष दूर है और मोनोसोर तारामंडल में स्थित है. इस तारे को सबसे पहला साल 2014 में देखा गया था, उस वक्त ये तारा आज के मुकाबले बीस गुना ज्यादा चमक रहा था.
इसके आकार के बारे में कैसे पता चला?
द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में पब्लिश हुई एक स्टडी में बताया गया है कि जिस हिसाब से इस तारे के आस पास धूल के कण इकट्ठा हो रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि आने वाले समय में इससे बृहस्पति से भी बड़ा एक तारा जन्म लेगा. इस तारे पर हबल टेलीस्कोप के साथ साथ वेरी लार्ज टेलीस्कोप और अटाकामा लार्ज मिलिमीटर ऐरे नाम के दो और टेलीस्कोपों से नजर रखी जा रही है. इस अकेले तारे को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसका दायरा हमारे पूरे सौर्यमंडल की चौड़ाई से भी ज्यादा है. इस तारे को ये सब बातें तो खास बनाती ही हैं, लेकिन इसके साथ ही इस तारे को सबसे खास ये बात बनाती है कि हमारे वैज्ञानिकों के पास इसके निर्माण से पहले की तस्वीरें मौजूद हैं जो बेहद दुर्लभ हैं. आने वाले समय में पृथ्वी के वैज्ञानिक इसकी स्टडी से ये समझ पाएंगे कि आखिर पृथ्वी कैसे बनी और इस पर जीवन कैसे संभव हुआ.
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