Heatwave In India: यूरोपीय महाद्वीप में गर्मी दिन-ब-दिन नए रिकॉर्ड बना रही है. इटली में रोम समेत 16 शहरों में झुलसाती गर्मी के कारण रेड अलर्ट घोषित किया गया है. अमेरिका में भी लोग भयंकर गर्मी का सामना कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाएं यूरोप में हालात को बिगाड़ रही हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत में भी आने वाले समय में तापमान बढ़ने पर लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा?


किसे कहते हैं हीटवेव?


मौसम विज्ञानियों के अनुसार, बहुत ज्यादा गर्म मौसम होने पर हीटवेव की स्थिति बनती है. ये स्थिति लंबे समय तक नहीं बनती है, और यह क्षेत्रवार भी हो सकती है. भारत में हीटवेव को तीन मानकों से नापा जाता है. पहला मानक है जब मैदानी इलाकों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो हीटवेव की स्थिति घोषित की जाती है. दूसरे मानक में तटीय इलाकों का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के पार जाता है, तो हीटवेव की स्थिति की घोषणा की जाती है. तृतीय मानक के मुताबिक, जब पहाड़ी इलाकों में टेंपरेचर 30 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्‍यादा हो जाता है तो हीटवेव की स्थिति बनती है.


भारत पर क्या होगा असर?


वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार जलवायु परिवर्तन के कारण भारत भी हीटवेव की जद में है. यह कहा नहीं जा सकता है कि भारत में आने वाली ग्रीष्म लहर अमेरिका जैसी होगी या नहीं, लेकिन भारत समेत एशिया, अमेरिका, और यूरोप इस गर्मी से प्रभावित होते रहेंगे. ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्म हवा का प्रसार होना और इससे तापमान में लगातार बढ़ोतरी होना संभव है. यह गर्मी से होने वाली मौतों को बढ़ा सकता है और फसलों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है.


क्या कहती है आईएमडी की रिपोर्ट?


आईएमडी की मई 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2060 तक हीटवेव में बढ़ोतरी होने की संभावना है. जलवायु विज्ञानी डॉ. डेनियल हॉर्टन ने भी कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्म हवा का प्रसार होगा, जिससे तापमान में लगातार वृद्धि होगी. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है, और नुकसान वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी हो सकता है.


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