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मानव सभ्यता का सबसे खतरनाक दिन कौन सा था, जानिए कैसे कुछ सेकंड में मर गए थे 8 लाख से ज्यादा लोग?
दरअसल, जो नॉर्मल भूकंप आते हैं उनका रिक्टर स्केल 2.3 या 3.2 के आस पास का होता है. जबकि, जिस भूकंप की हम बात कर रहे हैं वो 8.0 से 8.3 रिक्टर स्केल पर था.
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World's Most Dangerous Day: इस पृथ्वी पर जब से इंसानी सभ्याता का विकास हुआ है, वो समय-समय पर कई भीषण त्रासदियों का शिकार हुआ है. इसमें मानवीय और प्रकृतिक दोनों त्रासदियां शामिल हैं. हालांकि, आज हम जिस त्रासदी की बात कर रहे हैं वो इंसानी सभ्यता में अब तक की सबसे बड़ी प्राकृतिक त्रासदी है. चलिए आपको इस आर्टिक में बताते हैं कि इस भीषण त्रासदी के पीछे की वजह क्या है और इसने कैसे एक ही बार में लाखों लोगों की जिंदगी कुछ ही सेकंड में खत्म कर दी.
इंसानी सभ्यता का सबसे खतरनाक दिन?
साइंस अलर्ट में छपी खबर के अनुसार, 23 जनवरी 1556 वो दिन था जब इंसानों ने पहली बार एक भीषड़ त्रासदी देखी. ये भूकंप के रूप में थी. चीन के शांक्सी (Shaanxi) में उस दिन एक भयंकर भूकंप आया और उसने महज कुछ सेकंड में 8 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी ले ली. इस एक घटना ने चीन की वर्षों पुरानी सभ्यता को घुटनों पर ला दिया था.
कितना पावरफुल था ये भूकंप?
अब सवाल उठता है कि भूकंप तो हर साल लगभग कहीं ना कहीं आ ही जाता है, लेकिन उससे इतनी तबाही नहीं मचती जितनी 23 जनवरी 1556 वाले दिन मची थी. ऐसा क्यों और इसके पीछे का कारण क्या है. दरअसल, जो नॉर्मल भूकंप आते हैं उनका रिक्टर स्केल 2.3 या 3.2 के आस पास के होते हैं. जबकि, जिस भूकंप की हम बात कर रहे हैं वो 8.0 से 8.3 रिक्टर स्केल पर था. वहीं इस भूकंप से हुई इतनी बड़ी तबाही के पीछे एक वजह ये भी थी कि इस भूकंप का केंद्र शहर के बीचों बीच था जहां एक घनी आबादी रहती थी.
इस घटना ने इंसानी सभ्यता को भविष्य के लिए तैयार किया
कहा जाता है कि शानक्सी के भूकंप ने इंसानों को भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से निपटने के लिए तैयार किया. इसके घटना के बाद से चीन में ज्यादातर घर हल्की लकड़ियों से बनने लगे, इसके साथ ही बांस की मदद से भी चीन में घर बनाए जाने लगे. हलांकि, अब मानव सभ्यता तकनीक से इतनी लैस हो गई है कि वह भूकंप को पहले से ही प्रेडिक्ट कर सकती है और उससे बचने के उपाय खोज सकती है. इंसानों को अब पहले से पता रहता है कि कौन सा भूभाग कितने बड़े भूकंप बेल्ट पर है और इससे कितना नुकसान हो सकता है. इसी तरह तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को भी इंसान अब पहले से ही भांप लेता है.
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