जब भी ताजमहल की बात होती है तो इसके बनने की कहानी की चर्चा होती है. ये कहानी की वजह से ये नायाब इमारत आज प्यार की निशानी के रुप में मशहूर है. ये तो आप सब जानते हैं कि मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के निधन के बाद उनकी याद में ये इमारत बनवाई थी. खास बात ये है कि मुमताज को किए गए वादे के बाद शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था. 


लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ताजमहल बनाने के अलावा मुमताज ने शाहजहां से कई और वादे भी लिए थे और शाहजहां ने इन वादों को पूरा भी किया था. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर मुमताज महल ने शाहजहां से क्या वादे लिए और शाहजहां ने किन-किन वादों को निभाया. 


क्या थे मुमताज के चार वादे? 


- बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुमताज का पहला वादा था कि शाहजहां उनके लिए और उनके याद में एक शानदार महल बनवाएंगे, जहां आसपास नदी हो और अच्छी बाग हो. उसके बाद शाहजहां ने यमुना के किनारे ताजमहल का निर्माण करवाया.


- दूसरा वादा ये था कि शाहजहां दूसरी पत्नी से कोई संतान पैदा नहीं करे. 


- तीसरे वादा ये था कि शाहजहां सभी बच्चों के साथ प्यार करेंगे और नरमी से पेश आएंगे. 


- चौथा वादा था कि हर साल उनके मकबरे पर शाहजहां जाएंगे. लेकिन बीमारी के कारण बाद में ये वादा वो नहीं निभा पाए.


क्या सही में कटवा दिए थे हाथ?


जब भी ताजमहल घूमने जाते हैं तो उन्हें एक कहानी जरूर बताई जाती है और हो सकता है कि आपको भी ये कहानी पता हो. कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण के बाद उन सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, जिन्होंने इसका निर्माण करवाया था. इसका कारण ये था कि शाहजहां नहीं चाहता था कि अब ये मजदूर कभी जिंदगी में ऐसी इमारत बना पाए. ऐसे में मुगल शासक ने मजदूरों के हाथ काटकर यमुना में बहा हिया था. 


हालांकि, कई इतिहासकार और ताजमहल से जुड़ी जानकारी रखने वाले लोग इस कहानी को गलत बताते हैं और उनका होता है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था. कुछ लोग तर्क देते हैं कि हाथ काटने से मतलब ये था कि उन्होंने वचन दिया था या फिर लीगल कार्रवाई की वजह से वो वैसा निर्माण नहीं कर सकते थे, ऐसे में इसे हाथ बांधना या काटना रुप दिया गया था. 


बीबीसी की एक रिपोर्ट में इतिहास के जानकार नजफ हैदर के हवाले से कहा गया है कि शाहजहां को अगर हाथ काटने होते तो वो उन लोगों के काटता जिनकी ताजमहल की कारीगरी में मुख्य भूमिका थी, जो उस्ताद थे. ऐसे में मजदूरों के हाथ काटने का कोई मतलब नहीं था. 


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