बांग्लादेश में चुनाव और हिंसक वारदात दोनों ही चर्चा का विषय है. मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बहिष्कार के बीच बीते रविवार को मतदान हुआ था. जिसके बाद मतगणना के दौरान बांग्लादेश चुनाव आयोग ने देर रात प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को दो तिहाई बहुमत के साथ जीत का ताज पहना दिया है. जिसके बाद अब वह पांचवी बार बतौर प्रधानमंत्री बांग्लादेश का नेतृत्व करेगी.


बांग्लादेश संसद


बांग्लादेश में एक संसद है जिसे जातीय संसद यानी हाउस ऑफ द नेशन कहा जाता है. इस संसद में 350 सदस्य होते हैं. इन 350 सदस्यों में से 300 सदस्य वोटिंग के माध्यम से चुने जाते हैं और 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित वोट शेयर के आधार पर बांटी जाती है. अब बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक पार्टी को 151 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी होता है और इस देश के संसदीय चुनाव हर पांच साल में होते हैं.


चुनाव में वोटिंग 


अधिकांश देशों की तरह ही बांग्लादेश में भी एक उम्मीदवार एक ही वोट डाल सकता है. इस दौरान जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, वह जीत जाता है, प्रधानमंत्री के चयन के बाद वह उम्मीदवार बांग्ला या अंग्रेजी में शपथ लेता है. बांग्लादेश में दो प्रमुख पार्टियां हैं, पहली पार्टी शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी है. दूसरी पार्टी पूर्व पीएम खालिदा जिया के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी है.


विपक्ष ने क्यों नहीं लड़ा चुनाव 


देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और उनके समर्थक पार्टियों का आरोप है कि शेख हसीना की सरकार निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं है. इन पार्टियों का आरोप है कि वर्तमान सरकार आम चुनाव में धांधली और वोटिंग के दौरान हेरफेर करती है. हालांकि शेख हसीना की सरकार ने इस आरोप को हमेशा ही नकारा है. विपक्ष के द्वारा आम चुनाव का बहिष्कार करने का एक कारण ये भी है कि बीएनपी ओर उसके सहयोगी दलों के लगभग 28 हजार नेता और समर्थक जेल में हैं. बता दें कि जेल में बंद कई चेहरे ऐसे हैं जो एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकते थे. 


बांग्लादेश का इतिहास


बांग्लादेश साल 1947 से पहले भारत का हिस्सा था. उस वक्त बांग्लादेश को ईस्ट बंगाल कहा जाता था. भारत पाकिस्तान के विभाजन के 8 साल बाद यानी साल 1955 में ईस्ट बंगाल के नाम को बदलकर ईस्ट पाकिस्तान रख दिया गया था. फिर साल 1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद ईस्ट पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया था. उस वक्त देश की सत्ता अवामी लीग पार्टी के हाथों में आई और शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री भी बने. उन्हें बांग्लादेश का संस्थापक भी कहा जाता है. वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. लेकिन उसी दिन उनकी हत्या हुई थी. मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद अवामी लीग पार्टी की बागडोर उनकी बेटी शेख हसीना ने संभाली थी. साल 1981 में शेख हसीना आवामी लीग पार्टी की नेता चुनी गईं. इसके बाद उन्होंने साल 1996 से 2000 और 2008 से 2013 तक दो बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. साल 2014 के चुनाव में जब विपक्षी दल ने चुनाव लड़ने से बहिष्कार कर दिया था, उस वक्त भी शेख प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत थी. बता दें कि 1971 में पाकिस्तान से आजाद होने के बाद बांग्लादेश में 12 आम चुनाव हो चुके हैं. 


 


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