Bangladesh Army Rule: 1975 के तख्तापलट में हुई पिता और भाइयों की हत्या, जानें शेख हसीना ने दूसरी बार कैसे दी मौत को मात
Bangladesh Army Rule: शेख हसीना का परिवार बांग्लादेश की सत्ता में था, लेकिन फिर एक दिन देश की सेना ने बगावत कर दी और उनके पूरे परिवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया.
Bangladesh Army Rule: बांग्लादेश में सेना ने शेख हसीना सरकार का तख्तापलट कर दिया है. शेख हसीना ने अपने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़ कर चली गई हैं. आपको बता दे, शेख हसीना के परिवार का तख्तापलट से पुराना रिश्ता रहा है. उनके पिता जब देश के पीएम थे, तब भी सेना ने तख्तापलट किया था. चलिए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि जब साल 1975 में सेना ने तख्तापलट किया था और शेख हसीना के लगभग पूरे परिवार को खत्म कर दिया था, तब वह अकेले कैसे बच गई थीं.
शेख हसीना के परिवार की हत्या
ये साल था 1975. शेख हसीना का परिवार बांग्लादेश की सत्ता में था, लेकिन फिर एक दिन देश की सेना ने बगावत कर दी और उनके पूरे परिवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया. कुछ हथियारबंद लड़ाके शेख हसीना के घर में घुसे और उनके माता-पिता और भाईयों की क्रूरता से हत्या कर दी. हालांकि, इस हमले में शेख हसीना और उनकी बहन बच गईं.
कैसे बची थी शेख हसीना की जान
दरअसल, जब बांग्लादेश में ये सब कुछ हो रहा था तब शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां और छोटी बहन के साथ यूरोप में थीं. यही वजह है कि इस भयानक हमले में उनकी जान बच गई. इसके बाद शेख हसीना कुछ समय तक जर्मनी में रहीं और फिर वह भारत में आ गईं. भारत की इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें शरण दिया और कई वर्षों तक वह भारत में ही रहीं. इसके बाद 2004 में शेख हसीना पर ग्रेनेड से भी हमला हुआ था. इस हमले में शेख हसीना बुरी तरह घायल हो गई थीं, लेकिन उनकी जान बच गई थी.
कब वापिस लौटीं अपने देश
भारत में काफी समय रहने के बाद जब बांग्लादेश में स्थिति ठीक हुई तो साल 1981 में शेख हसीना अपने देश बांग्लादेश वापिस लौटीं. जब शेख हसीना वापिस अपने देश लौटीं तो उनके समर्थन में लाखों लोग एयरपोर्ट पर पहुंच गए. उन्होंने पूरे देश में अपने समर्थन में लोगों को खड़ा किया और फिर 1986 के आम चुनाव में हिस्सा लिया.
हालांकि, इस चुनाव में वह हार गईं. कहा जाता है कि इस चुनाव में सेना का दखल बहुत ज्यादा था. इसके बाद 1991 के चुनाव में भी शेख हसीना को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन, 1996 में जब बांग्लादेश में स्वतंत्र रूप से चुनाव हुए तो शेख हसीना की पार्टी जीत गई और फिर शेख हसीना ने पीएम का पद संभाला. हालांकि, इसके बाद 2001 का चुनाव फिर से शेख हसीना हार गईं. लेकिन 2009 में जब वो बांग्लादेश की पीएम बनीं तो तब से अब तक लगातार उनकी ही सरकार देश में रही.
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