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सिर्फ शिया और सुन्नी नहीं... इतने फिरकों में बंटा है मुस्लिम समाज

अब तक आपने ज्यादातर बार मुस्लिम समाज को शिया और सुन्नी के रूप में बंटा हुआ सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिया और सुन्नी में भी कई समुदाय, संप्रदाय और फिरके हैं. यहां सबकी जानकारी मिलेगी.

टीवी डिबेट हो या फिर सोशल मीडिया पर बहस...अक्सर इस्लाम से जुड़ी बात करने वाले लोग अपने कोट में पूरे मुस्लिम समुदाय को जोड़ देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम समुदाय में कई फिरके हैं और सभी के अपने-अपने कुछ कायदे कानून हैं. यानी ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो इस्लामिक कानून कोई सुन्नी मानता हो, वही इस्लामिक कानून कोई शिया भी मानता हो.

ये ज़रूर है कि शिया-सुन्नी दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि अल्लाह एक है और मोहम्मद साहब उनके दूत हैं और कुरान आसमानी किताब यानी अल्लाह की भेजी हुई किताब है. लेकिन दोनों समुदाय विश्वासों और पैग़म्बर मोहम्मद की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी के मुद्दे पर बंटे हुए नज़र आते हैं. यहां तक कि इन दोनों के इस्लामिक कानून भी कुछ मामलों में अलग-अलग हैं. चलिए आपको इस्लाम के सभी फिरकों के बारे में बताते हैं.

पहले सुन्नी को समझिए

माना जाता है कि दुनिया भर में जितने भी इस्लाम को मानने वाले लोग हैं, उनमें 80 से 85 फीसदी मुसलमान सुन्नी हैं. सुन्नी शब्द सुन्नत से आया है. यानी वो लोग जो अपना जीवन उन तौर तरीकों से जीते हैं जैसे पैगम्बर मोहम्मद साबह ने 570-632 ईसवी में जिया था. सुन्नी लोग पैगम्बर मोहम्मद के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके ससुर हज़रत अबु-बकर को देखते हैं.

हज़रत अबु-बकर के बाद सुन्नी जिन लोगों को पैगम्बर मोहम्मद के उत्तराधिकारी के तौर पर देखते हैं उनमें हज़रत उमर, हज़रत उस्मान और हज़रत अली थे. इसके बाद जितने भी लोग आए, उन्हें सुन्नी मुसलमान अपना नेता तो मानते थे, लेकिन सिर्फ राजनीतिक रूप से. मज़हबी रूप से सिर्फ इन्हीं चार लोगों को सुन्नी मुसलमान पैगम्बर मोहम्मद साबह के बाद अपना ख़ुलफ़ा-ए-राशिदीन यानी सही दिशा में चलने वाला मानते हैं.

सुन्नी में भी अलग-अलग फिरके

हनफी- इमाम अबू हनीफा के मानने वाले लोग अपने को हनफी मुसलमान कहते हैं. हालांकि, ये भी दो गुटों में बंटे हुए हैं. एक देवबंदी और दूसरे अपने आप को बरेलवी कहते हैं.

मालिकी- इमाम मालिक को मानने वाले मुसलमान खुद को मालिकी मुसलमान कहते हैं. हालांकि, इनकी संख्या एशिया में कम है. इमाम मालिक के अनुयायी उनके बताए नियमों को ही मानते हैं. ये समुदाय मुख्य रूप से मध्य पूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका में रहता है.

शाफई- शाफई, इमाम मालिक के शिष्य हैं और सुन्नियों के तीसरे प्रमुख इमाम माने जाते हैं. मुसलमान समुदाय का एक बड़ा तबका उनके बताए रास्तों पर अमल करता है. ये समुदाय भी मध्य पूर्व एशिया और अफ्रीकी देशों में रहता है.

हंबली- इमाम हंबल को मानने वाले मुसलमान खुद को हंबली कहते हैं. इस समुदाय के लोग सऊदी अरब, कतर, कुवैत, मध्य पूर्व और कई अफ्रीकी देशों में रहते हैं. आपको बता दें, सऊदी अरब की सरकारी शरीयत इमाम हंबल के धार्मिक कानूनों पर आधारित है.

वहाबी- इस समुदाय को सल्फ़ी और अहले हदीस के नाम से भी जाना जाता है. इस समुदाय का मानना है कि शरीयत को समझने और उसका सही ढंग से पालन करने के लिए सीधे कुरान और हदीस का अध्ययन करना चाहिए. इस समुदाय के लोगों को सांप्रदायिक तौर पर बेहद कट्टरपंथी और धार्मिक मामलों में बहुत कट्टर माना जाता है.

सुन्नी बोहरा - मुस्लिमों में ये समुदाय कारोबारी समुदाय के तौर पर देखा जाता है. ये, गुजरात, महाराष्ट्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते हैं. बोहरा समुदाय शिया और सुन्नी दोनो में हैं. सुन्नी बोहरा हनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं.

अहमदिया- अहमदिया समुदाय के लोग भी हनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं. इस समुदाय के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना भारत में पंजाब के क़ादियान में मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने की थी. इस फिरके के मुसलमानों का मानना है कि मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ख़ुद नबी का ही एक अवतार थे.

अब शिया को समझिए

शिया मुसलमान अल्लाह एक है और मोहम्मद साहब उनके दूत हैं और कुरान आसमानी किताब है ये तो मानते हैं, लेकिन इनके इस्लामिक कानून सुन्नी मुसलमानों से काफी अलग हैं. शिया मानते हैं कि पैगम्बर मोहम्मद के बाद ख़लीफ़ा नहीं बल्कि इमाम नियुक्त किए गए. वहीं पैग़म्बर मोहम्मद के बाद उनके असल उत्तारधिकारी के तौर पर शिया मुसलमान उनके दामाद हज़रत अली को मानते हैं. जबकि सुन्नी मुसलमान पैगम्बर मोहम्मद के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके ससुर हज़रत अबु-बकर को देखते हैं.

शिया मुसलमान में भी कई संप्रदाय

इस्ना अशरी- शिया मुसलमानों में सबसे बड़ा फिरका इस्ना अशरी समुह का है. ये लोग बारह इमामों को मानते हैं. आपको बता दें, दुनिया के लगभग 75 फीसदी शिया इसी समूह से संबंध रखते हैं.

ज़ैदिया- शिया मुस्लिमों का दूसरा सबसे बड़ा समूह ज़ैदिया है. ये समुदाय बारह के बजाय सिर्फ पांच इमामों में ही विश्वास रखता है.

इस्माइली शिया- इस्माइली शिया समुदाय के मुस्लिम ना बारह, ना चार वो सात इमामों को मानते हैं. इस समुदाय को इस्माइली शिया इसलिए कहा गया, क्योंकि इनके अंतिम इमाम मोहम्मद बिन इस्माइल हैं.

दाऊदी बोहरा- दाऊदी बोहरा व्यापारिक समुदाय है और ये लोग 21 इमामों को मानते हैं. दाऊदी बोहरा के आखिरी इमाम, इमाम तैयब अबुल क़ासिम थे.

खोजा - इस समुदाय के लोग शिया और सुन्नी दोनों इस्लामी कानूनों को मानते हैं. ये समुदाय गुजरात का एक व्यापारी समुदाय है और इसने कुछ सदी पहले ही इस्लाम स्वीकार किया था.

नुसैरी- नुसैरी समुदाय के लोग सीरिया और मध्य पूर्व के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं.

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