एक फिल्म आई थी बाहुबली, उम्मीद है कि आपने भी वो देखी होगी. इस फिल्म में दमदार एक्शन के साथ ही खास चीज भी देखने तो मिलती है और वो है सेना की ओर से यूज किए जाने वाले हथियार. फिल्म में देखने को मिलता है कि बाहुबली की सेना अलग-अलग तरह के हथियार इस्तेमाल करती है और कम मेहनत में दुश्मन को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाता है. क्या आप जानते हैं ऐसा हकीकत में भी होता है और पहले ऐसे ही कई क्रिएटिव हथियार हुआ करते थे, जिसमें दंडपुट्टा का नाम भी शामिल है. 


दंडपुट्टा दिखने में तलवार की तरह ही होता था, लेकिन कहा जाता है कि ये तलवार से काफी ज्यादा खतरनाक हुआ करता था. इस दंडपुट्टा को लेकर कहानी है कि शिवाजी महाराज भी इस दंडपुट्टा को चलाते थे और इससे एक अटैक में कई लोगों को मार दिया जाता था. तो जानते हैं कि दंडपुट्टा तलवार से कैसे अलग होता था और किस तरह से इसे इस्तेमाल किया जाता था. 


क्या होता है दंडपुट्टा?


दंडपुट्टा को कई लोग दांडपट्टा या दंडपुट्टा भी कहते हैं. दंडपुट्टा हथियार मुगलों या अन्य राजाओं के पास भी था, लेकिन मराठा लड़ाके इससे चलाने में ज्यादा माहिर माने जाते थे.


दंडपुट्टा को कई लोग दांडपट्टा या दंडपुट्टा भी कहते हैं. दंडपुट्टा हथियार मुगलों या अन्य राजाओं के पास भी था, लेकिन मराठा लड़ाके इससे चलाने में ज्यादा माहिर माने जाते थे. दरअसल, दंडपुट्टा में तलवार जैसी जो ब्लेड होती है, वो काफी लचीली होती है. इस वजह से इसे चलाना काफी मुश्किल काम होता है और हर कोई इसे आराम से नहीं चला पाता है. इसे सिर्फ माहिर आदमी ही चला सकता है और कहा जाता है कि तलवारबाजी कोई भी कर सकता है, लेकिन इसे हर कोई नहीं चला सकता है. 


दंडपुट्टा चलाना है काफी मुश्किल


इस दंडपट्टे में पहले अंदर हाथ डालना पड़ता है, जिससे इसका हैंडल कोहनी तक के हाथ को कवर कर लेता है. अगर कोई कलाई पर हमला करता है तो इसे चलाने वाले के कुछ नहीं होता है. इसमें हाथ डालने के बाद अंदर दंडपट्टे का हैंडल होता है और फिर इसे चलाया जाता है. इसकी ब्लेड 4 फीट तक लंबी होती है. मराठी में जो तलवार चलाने में निपुण होता है उसे धारकरी कहते हैं और जो इसे चलाता है उसे पट्टेकरी कहते हैं. इसके साथ ही ये भी तथ्य काफी मशहूर है कि एक पट्टेकरी कई धारकरी के बराबर है. 


इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितना खास हथियार है और इसे चलाना मुश्किल है. लेकिन, जब कोई इसे स्पीड से चलाता है तो यह कई दुश्मनों के सिर धड़ से अलग कर देती है. शिवाजी महाराज भी इसे चलाने में निपुण थी और इंटरनेट पर कई ऐसी तस्वीरें भी मौजूद हैं, जिसमें दिखता है कि उनके हाथ में ये हथियार है. 


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