यूक्रेन-रूस युद्ध में रूसी सेना इन दिनों मेक इन इंडिया शू पहन रही है, जो रूसी सैनिकों को खूब पसंद आ रहा है. अब सवाल ये है कि आखिर इन जूतों में क्या खासियत है, जिसको पहनने से रूसी सैनिकों को अत्यधिक ठंड से बचाव होती है. आज हम आपको भारत के बिहार राज्य में बनने वाले इन जूतों की खासियत बताएंगे. 


मेड इन बिहार


बता दें कि रशियन आर्मी को 'मेड इन बिहार' जूते काफी पसंद आ रहे हैं. मेक इन इंडिया पहल के तहत बिहार के हाजीपुर में रूसी सैनिकों के लिए जूते बन रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बिहार के हाजीपुर स्थित कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी रूस के लिए सुरक्षा जूते और यूरोपीय बाजारों के लिए डिजाइनर जूते बनाती है. लेकिन इन दिनों इस कंपनी के पास रशियन आर्मी के लिए जूते बनाने का बड़ा ऑर्डर है. इतना ही नहीं हाजीपुर के इस कंपनी में बन रहे जूतों को रशियन आर्मी खूब पसंद भी कर रही है. 


कंपनी में महिलाएं सबसे ज्यादा


हाजीपुर की इस कंपनी का जिक्र इसलिए भी खूब हो रहा है, क्योंकि यहां बनने वाले अधिकांश जूते 70 फीसदी महिलाओं द्वारा बनाया जाता है. बिहार की ये कंपनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बना रही है. यूक्रेन और रूस का युद्ध 24 फरवरी 2022 से चल रहा है. जानकारी के मुताबिक इस युद्ध में रूसी सैनिक बिहार के बने आर्मी शू का इस्तेमाल कर रहे हैं. हाजीपुर में बने ये जूते सुरक्षा के लिहाज से काफी सुरक्षित माने जाते हैं. क्योंकि रूसी सैनिक चाहते हैं कि जूता हल्का होना चाहिए, जो आसानी से फिसलने वाला नहीं होना चाहिए. इसलिए कंपनी ने रूसी सैनिकों के लिए खास कम तापमान जैसे -40 डिग्री सेल्सियस तक ठंडे झेलने वाले जूते बनाए हैं. यही कारण है कि रूसी सैनिकों को ये जूता खास पसंद आ रहा है. 


सेना को क्यों पसंद आए जूते


बता दें कि रूसी सेना के लिए बने ये जूते बहुत ही हल्के होते हैं. रूस की आर्मी को के लिए जो जूते बनाए जा रहे हैं, वह सेफ्टी शूज बूट हैं. इन्हें कुछ खास मटेरियल से बनाया जाता है, जिसकी वजह से माइनस 40 डिग्री से ज्यादा के तापमान में भी पैरों को सुरक्षित रखता है. इन जूतों की सबसे खास बात है कि ये बर्फ, पहाडों और जगलों में फिसलन से बचाते हैं. आर्मी के जवानों को इन्हीं सभी कारणों से ये जूता काफी पसंद आ रहा है. 


 कब हुई कंपनी की शुरूआत 


बता दें कि कंबटेंस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी 2018 में बिहार के हाजीपुर में शुरू की गई थी. इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य बिहार में रोजगार पैदा करना है. यह कंपनी रूस के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. बिहार की यह कंपनी कुल 300 कर्मचारियों पर चलती है. जिसमें से 70 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं. पिछले वर्ष इस कंपनी ने करीब 100 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था. जिसमें से 1.5 मिलियन जोड़ी जूते का निर्माण किया गया था. हाजीपुर की यह कंपनी कई यूरोपीय बाजार के लिए डिजाइनर जूते का भी निर्माण करती है.


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