Shraddha Murder Case: श्रद्धा मर्डर के मुख्य आरोपी आफताब को एक बार फिर पॉलीग्राफ टेस्ट का सामना करना होगा. मंगलवार को फिर से आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट होगा. ऐसे में सवाल है कि आखिर पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे होता है और इस टेस्ट के जरिए क्या पता चलता है, जिस वजह से आफताब का बार-बार पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जा रहा है. इसके साथ ही आफताब केस को लेकर नार्को टेस्ट भी चर्चा में आया था, तो सवाल ये भी है कि पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में क्या अंतर होता है. तो जानते हैं पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट से जुड़ी हर एक बात और साथ ही जानते हैं कि आखिर इन दोनों में अंतर क्या है.
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
बता दें कि आफताब अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा के मर्डर का आरोपी है. कथित तौर पर मर्डर के बाद आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर दिए थए और उन टुकड़ों को फ्रिज में भी रख दिया था. इसके बाद इन टुकड़ों को अलग अलग जगहों पर फेंका था. जब पुलिस ने मामले की जांच की तो आफताब के कई बयान एक जैसे दिखाई नहीं दिए या उन बयानों में झूठ की आशंका हुई. इसके बाद पुलिस नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा ले रही है.
अगर पॉलीग्राफ टेस्ट की बात करें तो इसे लाइ डिटेक्टर टेस्ट कहा जाता है. इससे पता करने की कोशिश की जाती है कि जिस व्यक्ति का टेस्ट हो रहा है, वो सच बोल रहा है या झूठ. किसी भी व्यक्ति से सच का पता करवाने के लिए 1924 से इस टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है. इस टेस्ट में साइकोलॉजिकल तरीके से अंदाजा लगाया जा सकता है. इसमें सांस लेने की रेट, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, पसीने आदि के जरिए अंदाजा लगाया जाता है.
माना जाता है कि जब इस टेस्ट के दौरान कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो इन सभी टेस्ट में बदलाव दिखता है और उससे एक्सपर्ट समझ जाते हैं कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. इस दौराना बीपी आदि की लगातार जांच होती रहती है. इसमें इन सभी के लाइव ग्राफ होते हैं और इन ग्राफ के जरिए सच और झूठ का पता लगाया जाता है. आफताब के केस में भी कुछ सवालों की लिस्ट होगी, जिनके जरिए मर्डर केस से जुड़ा सच पता करने की कोशिश की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आफताब से इन सवालों का पता करने की कोशिश की जा रही है कि श्रद्धा के शव के टुकड़े करने का फैसला क्यों किया और किस हथियार से टुकड़े किए गए? इसके साथ ही अब हथियार कहां है और टुकड़े कहां कहां फेंके गए जैसे रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश की जा रही है.
कैसे होता है ये टेस्ट?
इस टेस्ट में कई सवाल पूछे जाते हैं और सवाल पूछने से पहले जांच की जाती है और उस वक्त की जांच को बेस मानकर आगे के सवाल जवाब किए जाते हैं. इसमें कंट्रोल क्योशन टेस्ट और गिल्टी नॉलेज टेक्नीक के जरिए पता किया जाता है. इस टेस्ट में कोई दवा नहीं दी जाती है, बल्कि साइकोलॉजिकल तरीके से पता किया जाता है. कई मामलों में यह गलत भी साबित हो सकता है.
फिर क्या होता है नार्को टेस्ट?
वहीं, अगर नार्को टेस्ट की बात करें तो इसमें कुछ कैमिकल का सहारा भी लिया जाता है. दरअसल, जब भी नार्को टेस्ट होता है, उस वक्त Sodium Pentothal, जिसे ट्रूथ सीरम के नाम से भी जाना जाता है... को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है और इसके बाद सवाल पूछे जाते हैं. कहा जाता है कि इससे इंसान करीब बेहोशी की हालत में रहता है और वो जो भी बोलता है, सच बोलता है. इस टेस्ट का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध में भी किया गया था.
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