भारत जैसे देश में हवा का प्रदूषण आम बात है. लेकिन अगर हवा में मौजूद एक खास तरह की धूल आपकी जान लेने लग जाए तब आप क्या करेंगे. दरअसल, आज इस आर्टिकल में हम एक ऐसे धूल की बात करेंगे जो मजदूर तबके लिए जानलेवा साबित हो रही है. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.


सिलिका वाली धूल


ये एक खास प्रकार की धूल है जो तब निकलती है जब पत्थरों का काटा जाता है या फिर घिसा जाता है. इसके साथ ही ड्रिलिंग के दौरान भी सिलिका की धूल निकलती है. ये धूल जब इंसानों के सीने में जाती है तो उन्हें गंभीर रूप से बीमार कर देती है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि फिलहाल इस धूल का शिकार सबसे ज्यादा गरीब और मजदूर तबका हो रहा है. दरअसल, भारत समते दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां कंस्ट्रक्शन के काम में लगे मजदूर बिना मास्क और सुरक्षा उपकरणों के काम करते हैं. ऐसे में उनकी जान हमेशा जोखिम में रहती है.


होती सै सिलिकोसिस नाम की गंभीर बीमारी


ब्रिटिश जर्नल में प्रकाशिक एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि सिलिका के कणों से इंसानों में सिलिकोसिस नाम की एक गंभीर बीमारी पनपती है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर सिलिका की मात्रा पर कंट्रोल नहीं किया गया तो आने वाले समय में ये उसी तरह की बीमारी पैदा कर देगी जो कभी एस्बेस्टस की वजह से हुआ करती थी. दरअसल, एस्बेस्टस एक जहरीला रसायन था, जिसका प्रयोग घरों और बिल्डिंगों के निर्माण में हुआ करता था. हालांकि, इसके बढ़ते खतरे को देख कर दुनियाभर के देशों ने इस पर बैन लगा दिया.


फेफड़ों को बना देता है सख्त


एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सिलिकोसिस सांस से जुड़ा एक ऐसा रोग है जो फेफड़ों को सख्त बना देता है. अगर समय रहते इससे पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं किया गया तो ये इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि अगर इस बीमारी से मजदूर तबके को बचाना है तो मिट्टी, रेत, कंक्रीट, मोर्टार, ग्रेनाइट और कृत्रिम पत्थरों का काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क जैसी चीजें आनिवार्य की जाएं. इसके अलावा सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि जिन सेक्टर्स में सिलिका के कण ज्यादा निकलते हों वहां स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मानकों का सही तरीके से पालन हो.


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