दुनियाभर में मछलियों का आकार तेजी से छोटा हो रहा है. दरअसल ग्लोबल वार्मिंग की वजह से महासागर गर्म हो रहा है, ऐसा होने के साथ दुनिया भर में मछलियों का आकार भी कम हो रहा है. आज हम बताएंगे की वैज्ञानिकों ने मछलियों को लेकर क्या खुलासा किया है. 
  
मछलियों का आकार हो रहा छोटा 


वैज्ञानिकों ने बताया कि मछलियों का आकार छोटा होने से गिल्स यानी सांस लेने की ग्रंथि छोटी हो रही है. इस वजह से मछलियां ज्यादा ऑक्सीजन नहीं ले पा रही हैं. इस सिद्धांत को गिल ऑक्सीजन लिमिटेशन थ्योरी कहा जाता है. इसके मुताबिक महासागरों का तापमान बढ़ने से मछलियों के गिल्स का सतह क्षेत्रफल कम होता जा रहा है. इसी थ्योरी को एमहर्स्ट के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय (यूएमए) के वैज्ञानिकों के अध्ययन के नतीजों ने सीधी चुनौती दी है.


ब्रूक ट्रआउट नाम की मछलियों पर रिसर्च करने वाले शोधकर्ताओं का साफ कहना है कि बेशक तापमान बढ़ने से मछलियों का आकार कम हो रहा है. लेकिनइसका मछलियों के गिल के सहत के आकार के कम होने से कोई सीधा संबंध नहीं है. यूएमए में बायोलॉजी के लेक्चेरर जोशुआ लोनथेयर भी तापमान की वजह से होने वाली अनिश्चितता पर जोर देते हैं. लोनथेयर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे महासागर और नदियां गर्म हो रही हैं. इसका नतीजा ये है कि केवल मछलियां ही नहीं बल्कि कई जानवर वयस्क होने पर आकार में छोटे हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसे टेम्परेचर साइज रूल कहा जाता है. 


शोधकर्ताओं ने बताया कि ब्रूक ट्राउट प्रजाति की मछलियों को एक समूह को 15 डिग्री सेल्सियल के पानी, तो दूसरे को 20 डिग्री सेल्सियस के पानी वाले टैंक में रखा गया. इसके बाद मछलियों का हर महीने वजन ,आकार, और ऑक्सीजन की खपत में बदलाव की जांच की गई. इसके साथ ही उनके उनके गिल के बदलाव को जांचा गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि मछलियों का आकार तो कम हो रहा है, लेकिन गिल की सतह का क्षेत्रफल कम नहीं हो रहा है. 


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