दो हिस्सों में बंटी होती है सांप की जीभ! इसका काम जानकर आप खुद हैरान रह जाएंगे
Snakes: सांप जब हवा में अपनी जीभ लहराता है तो वह इसके दोनों सिरों को काफी दूर तक अलग रख कर लहराते हैं, जिससे कि ज्यादा बड़े क्षेत्र और दिशा से गंध को पहचान सकें.
Snake Tongue Fact: इंसान सहित कई जीवों की एक जीभ होती है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि सांप की जीभ दो हिस्से में क्यों बंटी होती है? यह सवाल सदियों तक वैज्ञानिकों और जीव विज्ञानियों के लिए एक चुनौती बना रहा था. क्या इसका कोई संबंध इंसानों के दो कान और नाक के दो छेदों से है? कुछ लोगों का तो यह मानना भी है कि सांप को खाने-पीने में ज्यादा स्वाद आए इसलिए ऐसा है. लेकिन सचाई कुछ और ही है. आइए जानते हैं कि सांप की जीभ के दो हिस्सों में क्यों बंटी होती है...
यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टीकट में इकोलॉजी और इवोल्यूशनरी बायोलॉजी के प्रोफेसर कर्ट श्वेंक कहते हैं कि सांप (Snakes) की जीभ के दो हिस्सों में बंटने के संबंध करीब 18 करोड़ साल पहले डायनासोर के जमाने से है. उस समय इन बड़े और भयावह जीवों के पैरों के नीचे आने से बचने के लिए सांप मिट्टी में गड्ढे या किसी बिल में छिपकर रहते थे. सांप का शरीर पतला, लंबा और सिलेंडर के आकार का होता है. इनके पैर भी नहीं होते हैं और रोशनी के बिना इनकी दृष्टि (Vision) भी धुंधली हो जाती है. ऐसे में इनकी जीभ ही इनके लिए एक प्रकार के सुरक्षा कवच और नाक का काम करती हैं. सांप गंध लेने के लिए ही अपनी जीभ को निकालकर हवा में लहराता है.
इसलिए दो हिस्सों में बंटी होती है जीभ
सांप की जीभ को वोमेरोनेजल (Vomeronasal) अंग कहा जाता था, जिसके पता साल 1900 के बाद चला था. यह अंग जमीन पर रेंग कर या लगभग रेंग कर चलने वाले जीवों में पाया जाता है. यह अंग सांप की नाक के चेंबर के नीचे होता है. जब यह हवा में निकालकर अपनी जेब लहराता है तो बाहर की गंध के कण जीभ पर चिपक जाते हैं और सांप को पता चल जाता है कि आगे क्या है या क्या हो सकता है.
जीभ पर वोमेरोनेजल अंग से निकलने वाले कण होते हैं, जो गंध को पहचानने की क्षमता रखते हैं. गंध को महसूस करने के बाद ये कण जब सांप के मुंह में जाते हैं तो सांप के दिमाग में यह संदेश पहुंच जाता है कि आगे आगे खतरा है या खाने लायक कोई जीव. सांप जब हवा में अपनी जीभ लहराता है तो वह इसके दोनों सिरों को काफी दूर तक अलग रख कर लहराते हैं, जिससे कि ज्यादा बड़े क्षेत्र और दिशा से गंध को पहचान सकें.
दो अलग अलग गंध को पहचानने में करती है मदद
दो हिस्सों में बंटी सांप की जीभ भी ठीक वैसे ही काम करती है जैसे हमारे दोनों कान. ये दोनों हिस्से अलग-अलग गंध भी महसूस कर सकते हैं. जिस तरह हमारे कान अलग-अलग दिशा से आती हुई आवाज को समझ लेते हैं और उनकी दिशा भी पता कर सकते हैं. ठीक इसी तरह सांप भी दोनों हिस्सों की मदद से समझ सकता है कि किस ओर खाना है और किस ओर खतरा या उसे किस ओर जाना चाहिए. सांप अपनी जेब की मदद से ही प्रजनन के लिए मादा की गंध पहचानता है.
सर्वाइवल के लिए जीभ है जरूरी
सांप हवा में ऊपर और नीचे की तरफ तेजी से जीभ को लहराता है. कई बार तो जीभ का एक हिस्सा ऊपर तो दूसरा नीचे जा रहा है. ऐसा सांप तब करता है जब उसे ज्यादा क्षेत्र की गंध लेनी होती है. क्योंकि ऐसा करने पर इनकी जीभ हवा में एक पंख जैसा आकार बना देती है. जीभ के दोनों हिस्सों से अलग-अलग तरह की गंध जमा करते हैं, जिससे सांप को इस बात की जानकारी हो जाती है कि किस दिशा में उन्हें फायदा होगा और किधर खतरा है. इसलिए सांप के सर्वाइवल के लिए इसकी जीभ एक बहुत जरूरी हिस्सा है.
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