क्या आप जानते हैं कि जब चुनावों में काउंटिंग शुरू की जाती है तभी ईवीएम से कुछ वोट घटा दिए जाते हैं. इसका जिक्र बकायदा रिकॉर्ड्स में भी किया जाता है. ये काम आज-कल से नहीं हो रहा बल्कि जब से ईवीएम के जरिये मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई है, तभी से ये काम किया जा रहा है. इसका जिक्र भारतीय चुनाव आयोग की सबसे जरूरी दस्तावेज फॉर्म 17 सी में भी देखने को मिलताा है. लेकिन सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों किया जाता है. चलिए इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.


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एक ईवीएम में कितने वोट डलते हैं?


एक ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में लगभग 2000 वोट डाले जा सकते हैं. जब इसमें यह सीमा पूरी हो जाती है, तो मशीन एक खास बीप की आवाज़ के जरिए यह मैसेज देती है कि सारे वोट दर्ज हो चुके हैं और अब इसे बदलने की जरूरत है. इस बीप से चुनाव अधिकारियों को यह जानकारी मिलती है कि वोटिंग का डेटा पूरी तरह से रिकॉर्ड हो चुका है और अब एक नई मशीन का उपयोग किया जाएगा.


वहीं वोटिंग शुरू होने से पहले भी ईवीएम की पूरी तरह से जांच की जाती है और इसे नेटवर्क से जोड़कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि मशीन सही तरीके से काम कर रही है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि मतदान के दौरान कोई तकनीकी गड़बड़ी न हो और चुनाव निष्पक्ष तरीके से आयोजित हो.


ईवीएम लगाते समय क्या होता है?


जब हम वोट देने जाते हैं, तो बटन दबाते ही हमारी पसंदीदा पार्टी का नाम वीवीपैट (Elector Undeniable Paper Review Trail) पर स्क्रीन पर दिखाई देता है. लेकिन क्या आपने कभी यह गौर किया है कि ईवीएम मशीनों को कैसे शुरू किया जाता है और यह कैसे सुनिश्चित किया जाता है कि वे सही तरीके से काम कर रही हैं? दरअसल, इसका जवाब वही है जो हमने ऊपर बताया है. ईवीएम को चालू करने से पहले उसकी पूरी जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मशीन पूरी तरह से सही तरीके से कार्य कर रही है.


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क्यों ईवीएम से घटाए जाते हैं वोट?


जब भी किसी नई ईवीएम मशीन को वोटिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो सबसे पहले उसे टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट के दौरान, मतदान अधिकारी स्वयं मशीन के बटन दबाकर 2 से 5 वोट डालते हैं. ये वोट आमतौर पर उस क्षेत्र में खड़े सभी उम्मीदवारों के नामों पर होते हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मशीन सही तरीके से काम कर रही है और सभी उम्मीदवारों के नाम सही तरह से रिकॉर्ड हो रहे हैं या नहीं. दरअसल, ईवीएम मशीन को शुरू करने के प्रोसेस में, सभी उम्मीदवारों के नाम के सामने के बटन दबाकर वोट डाले जाते हैं. यह टेस्टिंग यह सुनिश्चित करती है कि मशीन सही तरीके से सभी उम्मीदवारों के नाम और संबंधित बटन को सही तरीके से पहचान रही है.


इन टेस्ट वोटों को फिर ईवीएम से हटा दिया जाता है. इन्हीं वोटों को काउंटिंग के समय घटाया जाता है. यानी, जिन उम्मीदवारों के नाम पर यह टेस्ट वोट डाले गए होते हैं, उनकी संख्या काउंटिंग के दौरान घटा ली जाती है. यह प्रक्रिया हर बार तब होती है जब नई ईवीएम मशीन को वोटिंग के लिए लगाया जाता है और इसे शुरू करने में करीब 5-10 मिनट का समय लग सकता है. इसके अलावा, भारतीय चुनाव आयोग प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए फॉर्म 17 सी जारी करता है, जिसमें मतदान से संबंधित सभी जरूरी जानकारी दर्ज की जाती है. इस प्रक्रिया का जिक्र चुनाव अधिकारी फॉर्म 17 सी में भी करते हैं.


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