Social Media Effect On Children: आजकल हर किसी के पास स्मार्टफोन है और सभी का रुख सोशल मीडिया की तरफ है. सोशल मीडिया वयस्कों के साथ-साथ अब छोटे-छोटे बच्चों और किशोरों तक भी अपनी पहुंच बना चुका है. दुनियाभर में पेरेंट्स बच्चों की इस आदत को लेकर परेशान रहते हैं. बच्चों के सोशल मीडिया में बढ़ते इंट्रेस्ट को गंभीरता से लेते हुए अमेरिका के सिएटल पब्लिक स्कूल ने तो इस पर सख्त कदम उठाते हुए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे टिकटॉक, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, और स्नप चैट पर केस भी किया है. स्कूल ने 91 पेज की याचिका में कहा है कि ये सोशल मीडिया कंपनियां अपना वॉच टाइम बढ़ाने के लिए बच्चों को शिकार बना रही हैं. 


स्कूलों का कहना है कि इनके कारण बच्चों और किशोरों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है. बच्चों और किशोरों के दिमाग पर सोशल मीडिया के पड़ने वाले असर को लेकर कई स्टडी भी हुई हैं, जिनमें चौंकाने वाली कुछ बातें सामने आती हैं. आइए जानते हैं...


बच्चों के दिमाग पर पड़ता है ये असर
हाल ही में हुए नये अध्ययन में कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. अध्ययन में हुई बच्चों की ब्रेन मैपिंग में पाया गया कि इसका असर बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के न्यूरो वैज्ञानिकों ने इस पर स्टडी की और बताया कि जो बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार बार चेक करते हैं उनके ब्रेन का आकार छोटा रहता है. इस स्टडी में लगातार तीन सालों तक उत्तरी कैरोलिना के कुछ स्कूलों के 170 छात्रों का डेटा लिया गया. जिनको दिन में कम से कम एक बार और 20 से अधिक बार लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट आदि को इस्तेमाल करने के आधार पर बच्चों को विभाजित किया गया.


इस दौरान इन बच्चों की ब्रेन मैपिंग भी हुई, जिसमें उनके मस्तिष्क के विकास संबंधी अलग-अलग परिवर्तन देखने को मिले. स्टडी में ये भी पाया गया कि सोशल मीडिया अपने प्लेटफॉर्म पर लाइक, कमेंट, नोटिफिकेशन और मैसेज चेक करते रहने की इच्छा भी पैदा करता है. इससे 12 से 15 साल के किशोरों का दिमाग अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है.


किन डिसऑर्डर का हो सकते हैं शिकार?
कुछ मनोचिकित्सकों का कहना है कि हाल ही में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने बच्चों में तनाव की समस्या बढ़ाई है. मोबाइल और सोशल मीडिया की लत ने बच्चों में एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं पैदा की है. इसलिए मोबाइल पर ज्यादा और बेवजह वक्त बिता रहे बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो रहा है.


यह भी पढ़ें -


सर्वे: लड़कियों के जीवन का एक साल ये सोचने में चला जाता है कि आज उन्हें पहनना क्या है?