कुछ लोगों को इंजेक्शन से लगता है बेइंतहा डर, आखिर क्यों होता है ऐसा?
इंसान को जीवन में कभी ना कभी इंजेक्शन लगवाने की जरूरत पड़ती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई लोग इंजेक्शन लगवाने से डरते है और ये एक तरह का फोबिया है. जानिए क्या है इसके लक्षण.
क्या आपने कभी सुई यानी इंजेक्शन लगवाया है? आज के वक्त शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी सुई नहीं लगवाया होगा. वो इंजेक्शन वैक्सीन से लेकर नॉर्मल टिटनेस की सुई हो सकती है. वहीं कई लोगों को आपने देखा होगा कि वो इंजेक्शन से बहुत डरते हैं, जिसमें बच्चे से लेकर बड़े लोग शामिल हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किसी भी व्यक्ति को इंजेक्शन से डर क्यों लगता है और इसके पीछे की वजह क्या है.
इंजेक्शन से डर
आपने अपने आस-पास बहुत सारे ऐसे लोगों को देखा होगा, जिन्हें इंजेक्शन से डर लगता है. छोटे बच्चे से लेकर बड़े लोग कहते हैं कि उन्हें दवाई दे दो, लेकिन इंजेक्शन मत लगाओं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किसी भी व्यक्ति को इंजेक्शन से डर क्यों लगता है, आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. क्या ये किसी बीमारी का लक्षण है.
ट्रिपैनोफोबिया की समस्या
बता दें कि जो लोग भी इंजेक्शन के डर से दूर भागते हैं, मानसिक रूप से परेशान होने लगते, हार्ट बीट बढ़ता है, या डर से वैक्सीनेशन नहीं करवाते हैं, ऐसे लोग ट्रिपैनोफोबिया से ग्रसित होते हैं. इसके शिकार मरीज अक्सर कई जरूरी वैक्सीनेशन का हिस्सा बनने से वंचित रह जाते हैं.
क्या है ट्रिपैनोफोबिया
बता दें कि ट्रिपैनोफोबिया एक प्रकार का मानसिक डर है. असल में ये इंजेक्शन की नीडल से होता है, इसमें फोबिया कई प्रकार के होते हैं. हालांकि हर इंसान में ये डर अलग-अलग तरह का होता है. इस फोबिया में लोगों को इंजेक्शन या हाइपोडर्मिक सुइयों से डर लगने लगता है. वहीं इसका शिकार मरीज इंजेक्शन के देखते ही बेचैन और परेशान होने लगता है.रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुमान के मुताबिक हर 4 में से 1 वयस्क और 3 में से 2 बच्चे सुई को देखने भर से तेज डर का अनुभव करते हैं. वहीं ट्रिपैनोफोबिया आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक सुई से डर मरीज में बचपन से हो सकता है.
क्या है इलाज
एक्सपर्ट के मुताबिक इस समस्या पर विशेषज्ञों की सलाह माननी चाहिए. यानी ट्रिपैनोफोबिया के लक्षणों को महसूस करने पर सबसे पहले आपको डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए. इसके शिकार मरीज को मनोचिकित्सा (साइकेट्रिस्ट) के पास जाने का सुझाव दिया जाता है, और इसका इलाज मरीज के फोबिया की गंभीरता पर निर्भर करता है.
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