कोई हिंदू लड़की अगर मुस्लिम से शादी करना चाहती है तो किस धर्म के रीति-रिवाज होंगे फॉलो?
एक केस के फैसले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि एक मुस्लिम पुरुष और एक हिंदू महिला की आपस में शादी नहीं हो सकती है. न ही इस्लामिक कानून के अनुसार और न ही स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत.
सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी से जुड़ी खबरों को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पटा पड़ा है. मौजूदा जानकारी के अनुसार, यह कपल 22 जून को सगाई करेगा. अब ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि जब सोनाक्षी और जहीर की शादी होगी तो किस धर्म के रीति-रिवाज फॉलो होंगे?
पहले समझिए इस मामले में कानून क्या कहता है?
साल 1954 में इस तरह के मामलों के लिए एक कानून बना था, स्पेशल मैरिज एक्ट. इस एक्ट के तहत दो अलग-अलग धर्मों के लोग बिना अपना धर्म बदले शादी कर सकते हैं. यह कानून देश के हर व्यक्ति पर लागू होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो. वहीं, स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए.
हालांकि, शादी करने से 30 दिन पहले उन्हें मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिस में इसके लिए आवेदन देना होगा. अगर 30 दिन के अंदर शादी को लेकर कोई आपत्ति मिलती है तो मैरिज रिजस्ट्रेशन ऑफिस के कर्मचारी इसकी जांच करते हैं और अगर आपत्ति सही पाई जाती है तो मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिस को यह अधिकार होता है कि वह विवाह की अनुमति न दें.
रीति-रिवाज किसके फॉलो होंगे?
शादी के दौरान रीति-रिवाज किस धर्म के फॉलो होंगे, इसका निर्णय लड़का और लड़की के विवेक पर निर्भर करता है. यानी लड़का और लड़की चाहें तो मुस्लिम रीति-रिवाज से शादी कर सकते हैं या फिर हिंदू रीति-रिवाज से. लेकिन यहां एक पेच है. अगर मुस्लिम रीति-रिवाज से शादी करनी है तो मौलवी तब तक निकाह नहीं पढ़ा सकता है, जब तक कि गैर धर्म का लड़का या लड़की इस्लाम न कुबूल ले. दरअसल, मुस्लिम मैरिज एक्ट के तहत वर और वधू का एक धर्म का होना जरूरी है. हालांकि, हिंदू रीति-रिवाज में लड़का और लड़की का धर्म एक ही होने को लेकर कोई बाध्यता नहीं है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का एक फैसला भी है
दरअसल, 27 मई को एक केस के फैसले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि एक मुस्लिम पुरुष और एक हिंदू महिला की आपस में शादी नहीं हो सकती है. न ही इस्लामिक कानून के अनुसार और न ही स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत. हाई कोर्ट ने यहां तक कहा कि मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला की शादी, जिसमें दोनों शादी के बाद अपने-अपने धर्म को मानते हों, वह शादी वैध नहीं हो सकती. हालांकि, हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. विश्लेषकों का मानना है कि ये फैसला स्पेशल मैरिज एक्ट को लागू करने के उद्देश्यों के खिलाफ है.
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