हाल ही में एक उल्कापिंड पृथ्वी के इतने नजदीक से गुजरा कि उसने धरती वासियों के मन में डर पैदा कर दिया. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठना लाजमी है कि अगर कभी चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर बढ़ा तो धरती पर गिरने में उसे कितना समय लगेगा. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.


पृथ्वी से चांद की दूरी समझिए


चांद का कोई हिस्सा अगर टूट कर पृथ्वी पर गिरता है, तो यह एक बेहद दुर्लभ और विनाशकारी घटना होगी. इस तरह की घटनाओं की संभावना कम है, लेकिन विज्ञान के आधार पर इसका विश्लेषण जरूर किया जा सकता है. दरअसल, चांद पृथ्वी से लगभग 384,400 किलोमीटर दूर है. ऐसे में अगर चांद का कोई टुकड़ा टूट कर पृथ्वी की ओर आने लगता है, तो उस टुकड़े की गति और यात्रा का समय मुख्य रूप से कई कारकों पर निर्भर करेगा.


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गुरुत्वाकर्षण और वेग में भी है इसका जवाब


दरअसल, चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु तब तक स्थिर रहती है, जब तक कि कोई बाहरी बल उस पर प्रभाव नहीं डालता. हालांकि, अगर चांद का कोई टुकड़ा टूटता है और पृथ्वी की ओर बढ़ने लगता है, तो यह पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से आकर्षित होने लगेगा. इस प्रक्रिया को और आसान भाषा में समझने के लिए, हमें यह जानना होगा कि चंद्रमा की कक्षा में कोई भी वस्तु जब पृथ्वी की ओर गिरती है, तो वह लगातार गति प्राप्त करती है.


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इसे ऐसे समझिए कि पृथ्वी की ओर बढ़ते समय वह टुकड़ा 9.8 मीटर/सेकंड² की दर से गति पकड़ता है, जो कि गुरुत्वाकर्षण बल है. लेकिन, यह दर तब और बढ़ जाती है जब वह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है, क्योंकि उस समय वायुगतिकीय बल भी उस पर काम करने लगता है.


नासा से समझिए


नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष से गिरने वाली वस्तुएं आमतौर पर 11 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी लगभग 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती हैं. चूंकि, चांद की कक्षा पृथ्वी से दूर है तो चंद्रमा के टूटे हुए टुकड़े को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने में अधिकतम कुछ घंटों का ही समय लगेगा. इसे और आसान भाषा में समझें तोअगर चांद का टुकड़ा 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ता है, तो उसे 384,400 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 9.5 घंटे लगेंगे.


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