अगर भीड़ में हो जाए किसी की हत्या तो किसको माना जाएगा दोषी, क्या कहता है कानून?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद इस घटना पर राजनीति बयान सामने आ रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि अगर भीड़ में किसी की हत्या होती है, तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होता है. जानिए क्या कहता है कानून.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो चुकी है. जहां एक तरफ सरकारी अधिकारी अपने पक्ष रख रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और आप पार्टी केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साध रही है. इस बीच सोशल मीडिया पर कई लोग ये भी कह रहे हैं कि अगर भीड़ में किसी की हत्या होती है, तो उसका दोषी कौन होगा? आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
एक बार फिर मचा भगदड़
देश में कई बार अलग-अलग मौकों पर भगदड़ मचने के कारण सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई है. बीते शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से कुछ दिनों पहले महाकुंभ में भी भगदड़ मची थी, जिसमें सैंकड़ों लोग जख्मी हुए थे और कई श्रर्धालुओं की मृत्यु हुई थी. लेकिन सवाल ये है कि भीड़ में किसी की हत्या होने का जिम्मेदार कौन होगा और किसे दोषी माना जाएगा.
दर्दनाक हादसा
बता दें कि बीते शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे ने सबकों हिलाकर रखा दिया है. जानकारी के मुताबिक देर रात प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए यात्री नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अपनी ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे. इसी दौरान करीब 9.45 बजे के आस-पास प्रयागराज जाने वाली ट्रेन की प्लेटफॉर्म 14 पर आने खबर के बाद यात्रियों की भीड़ एक तरफ भागने लगी थी. जिस कारण भगदड़ मचने से कई परिवारों ने अपनों को खो दिया है. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक इस घटना में 15 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 10 से अधिक घायल हैं.
भीड़ में हत्या होने पर कौन दोषी
अब सवाल ये है कि भीड़ में किसी हत्या होने पर दोषी कौन होता है. बता दें इसको लेकर कानून में अलग-अलग नियम हैं. लेकिन जैसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जो भगदड़ मची है, इस मामले में जितने भी अधिकारी ड्यूटी पर होंगे, उन्हें दोषी माना जाएगा. वहीं अगर कोई व्यक्ति किसी प्रोगाम का आयोजन करता है और वहां पर कोई भगदड़ मचता है, तो आयोजन करने वाले पर कार्रवाई होती है. अब सवाल ये है कि आक्रोशित भीड़ अगर किसी की हत्या करती है, तो उसको लेकर क्या कानून है.
कानूनी एक्सपर्ट के मुताबिक देश में किसी को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं हैं. वहीं अगर कोई भी व्यक्ति भीड़ में शामिल होकर हिंसा करता है, तो वो दोषी है. इस स्थिति में उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसके लिए आईपीसी की धारा 147 और 148 में 2 से तीन साल की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान किया है. इसके अलावा अगर कोई किसी इमारत में आगजनी करता है, तो आईपीसी की धारा 436 के तहत 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं अगर आप हिंसक भीड़ में सिर्फ मौजूद हैं, तो आपको भी सजा बराबर मिलेगी. आईपीसी की धारा 34 और 149 के तहत हिंसक भीड़ में शामिल हर व्यक्ति हिंसा के लिए समान रूप से जिम्मेदार होता है. कानून के मुताबिक अगर हिंसा के दौरान किसी पर जानलेवा हमला होता है, तो आईपीसी की धारा 307 के तहत 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है.
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