रात के अंधेरे में काले आसमान में सुंदर चमकदार और सफेद टिमटिमाते तारे भला किसे पसंद नहीं आते. कई लोग रात में सोने से पहले इन्हें देखकर सुकून महसूस करते हैं, लेकिन हाल ही में इन तारों को लेकर हुई खोज हैरान कर देने वाली है. जिसमें वैज्ञानिकों ने कुछ तारे पाए हैं जो अपने ही ग्रहों को निगलने की प्रवृत्ति रखते हैं.


यह खोज ब्रह्मांड में तारों और ग्रहों के बीच के जटिल संबंधों को समझने में मदद कर रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पृथ्वी को भी इस तरह के किसी खतरे का सामना करना पड़ सकता है? चलिए जानते हैं.


अपने ही ग्रहों को क्यों निकल जाते हैं तारे?


जब एक तारा अपने जीवन के आखिरी चरण में पहुंचता है तो उसमें बड़ी मात्रा में ईंधन खत्म हो जाता है. इस स्थिति में तारा संकुचित होने लगता है और उसका तापमान बढ़ जाता है. इस दौरान तारा अपनी बाहरी परतों को अंतरिक्ष में फैला देता है और एक विशालकाय लाल दानव में बदल जाता है. इस प्रक्रिया में तारे की गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी बढ़ जाती है, जिसके कारण उसके आसपास के ग्रह उसकी ओर खिंचने लगते हैं और आखिरी तारे में समा जाते हैं.


यह भी पढ़ें: इजरायल और सऊदी में युद्ध हुआ तो कितने लोगों की हो सकती है मौत? रूस यूक्रेन से भी ज्यादा होगी तबाही!


क्या पृथ्वी को भी ऐसा खतरा है?


यह सवाल आमतौर पर उठता है कि क्या हमारा सूर्य भी एक दिन पृथ्वी को निगल जाएगा? वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य के जीवन चक्र के आधार पर यह संभव है. सूर्य अभी अपने मध्य जीवन में है और अगले 5 अरब सालों तक वह स्थिर रहेगा, लेकिन इसके बाद सूर्य एक लाल दानव में बदल जाएगा और अपनी बाहरी परतों को फैला देगा. इस दौरान बुध और शुक्र ग्रह निश्चित रूप से सूर्य में समा जाएंगे. पृथ्वी का क्या होगा, इस बारे में वैज्ञानिकों का अभी तक कोई निश्चित मत नहीं है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी भी सूर्य में समा जाएगी, जबकि कुछ का मानना है कि पृथ्वी सूर्य से दूर धकेल दी जाएगी.


हाल में हुई खगोलीय घटनाएं


हाल के सालों में खगोलविदों ने कई ऐसे तारों की खोज की है जो अपने ग्रहों को निगल रहे हैं. इन खोजों ने हमें तारों के जीवन चक्र के बारे में और ज्यादा जानने में मदद की है. उदाहरण के लिए, केपलर स्पेस टेलीस्कोप ने कई ऐसे तारों की खोज की है जिनके चारों ओर ग्रहों के अवशेष पाए गए हैं. इन अवशेषों से पता चलता है कि ये ग्रह कभी तारे में समा गए थे.


यह भी पढ़ें: यहां बनते हैं सबसे ज्यादा भारतीय ट्रेनों के कोच, दुनिया में सबसे बड़ी रेल फैक्ट्रियों में एक