Story of Boko Haram: 40 लोगों की हत्या, 20 लोगों को बारूदी सुरंग का इस्तेमाल करके मारना, सरेआम किसी को भी पकड़कर मर्डर कर देना… ऐसे कई कुकर्म जिसके बारे में आज भी लोग सुनने से डर खाते हैं. ऐसी कई कहानियां जिसके बारे में लोग आज तक नहीं जानते हैं. आज जानेंगे. यह कहानी बोको हरम से जुड़ी है, जिसने एक समय में नाइजीरिया में आंतक मचा रखा था. वहां की सरकार तक उसके आगे एक समय कमजोर पड़ गई थी. उसके इस ताकत के पीछे किस खूंखार आतंकी संगठन का सपोर्ट था और यह सब कैसे हुआ? चलिए जानते हैं.
कैसे हुई शुरुआत?
मौलवी मोहम्मद युसुफ ने 2002 में बोको हरम की शुरुआत की थी. 2009 में इसकी कमान अबुबकर शेकाऊ को मिली और उसके बाद उसने आतंकी हमलों को शुरू कर दिया. 2016 में यह संगठन इस्लामिक स्टेट से मिला और उसका दायरा बढ़ाया गया. बोको हरम ने हजारों लोगों की नृशंस हत्या की है. अबूबकर शेकाऊ को कहा जाता था कि वह ISIS के नेता अल बगदादी से भी आगे था. उसका सपना नाइजीरिया और पास के देशों को इस्लामिक स्टेट बनाने का था. अमेरिका ने उसे मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी की सूची में शामिल किया था और 7 मिलियन डॉलर की रिवार्ड भी घोषित की थी. वह कहता था कि उसे हत्या करने में बड़ा आनंद आता है, जैसा कि मुर्गी को हलाल करने में होता है. 2021 में उसकी मौत की खबरें आई थीं.
क्या है इसका मकसद?
वर्तमान में बोको हरम नाइजीरिया के अलावा नाइजर, चाड़, और उत्तरी कैमरून में भी गतिविधित है. बोको हरम ने हमेशा से दुनिया भर में शरीया कानून को लागू करने की बात की है. इसकी शुरुआत नाइजीरिया में एक सरकार बनाने के उद्देश्य से की गई थी, जो शरीया कानून को लागू करना चाहती थी. नाइजीरिया में बोको हरम का खौफ इतना है कि लोग इसके बारे में गवाही देने से डरते हैं. इस संगठन ने न केवल वहां के लोगों को अपना निशाना बनाया है, बल्कि सुरक्षाबलों पर भी जानलेवा हमला किया है. इसने लोगों का अपहरण किया, सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. यहां तक की बच्चों को भी नहीं छोड़ा है. इस संगठन के संस्थापक मौलवी मोहम्मद युसुफ ने जिस मस्जिद का निर्माण कराया था. वह एक जिहादी भर्ती केंद्र बन गया है. यह संगठन बच्चों को मानव बम बनाकर हमले कराने का कारण बनता है.
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