History Of Clock: समय देखने के लिए हम अपनी कलाई में बंधी घड़ी देखते हैं. इसके अलावा मोबाइल में या दीवार पर लगी घड़ी से भी समय देखते हैं. हमारे सारे काम घड़ी में तय समय के हिसाब से होते हैं. घड़ी के समय के अनुसार हम अपने काम को अलग-अलग तरह से संतुलित करके बांटते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब घड़ी का आविष्कार नहीं हुआ था तब समय का पता कैसे चलता था.


तब लोगों को समय का अनुमान लगाने में कितनी दिक्कत होती होगी. अपने इस आर्टिकल के में हम आपको ना सिर्फ घड़ी का इतिहास बताएंगे बल्कि इस बात की जानकारी भी देंगे कि घड़ी के आविष्कार से पहले समय का अनुमान कैसे लगाया जाता था.


सूरज की रोशनी से लगाते थे अनुमान-


घड़ी के आविष्कार से पहले सूरज की रोशनी से लोग समय का अनुमान लगाते थे, लेकिन समस्या तब होती थी जब आसमान में बादल छाए होते थे. इसकी वजह से लोग कई बार समय का सही अनुमान नहीं लगा पाते थे. बाद में समय की जानकारी के लिए जल घड़ी का उपयोग किया गया.


966 ईसवी में हुआ घड़ी का आविष्कार -


समय के सही अनुमान की समस्या तब सुलझी जब पोप सिलवेस्टर के द्वारा 966 ई. में घड़ी का आविष्कार हुआ. थोड़ी विकसित घड़ियों का उपयोग यूरोप में 1250 ई. के बाद होने लगा. इस दौरान इंग्लैंड में वेस्टमिंस्टर घंटाघर में भी घड़ी लगाई गई. हालांकि दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी समय देखने के अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे थे. जहां तक इस समय की घड़ी की बात है तो इसमें मिनट की सुई नदारद थी. 


वर्तमान घड़ी का विकास-


पीटर हेलिन जो कि जर्मनी के रहने वाले थे, उन्होंने आधुनिक स्प्रिंग घड़ी का आविष्कार किया. यूरोप में घड़ी का चलन तो हो गया, लेकिन अभी भी उसमें छोटे समय की जानकारी को लेकर दिक्कत होती थी. आगे चलकर 1577 ई. में स्विट्जरलैंड के जॉस बर्गी ने घड़ी में मिनट वाली सुई का आविष्कार किया.


आज जिस तरह की घड़ी हम कलाई में पहनते हैं उसका विकास भी एक फ्रांसीसी व्यक्ति द्वारा ही किया गया था, जिसका नाम ब्लेज पास्कल था. ब्लेज पास्कल ने ही गणितीय गणना के लिए कैलकुलेटर जैसा महत्वपूर्ण आविष्कार भी किया था.


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