नौकरी करने वाले कर्मचारी आज के वक्त सबसे ज्यादा दबाव का सामना कर रहे हैं. कई कर्मचारी काम के दबाव के कारण परिवार को वक्त नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए वो डिप्रेशन का शिकार भी हो रहे हैं. एक सर्वे के मुताबिक देश के 86 फीसदी कर्मचारी खुद को पीड़ित और संघर्षरत मानते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किन कारणों से कर्मचारी तनाव का सामना कर रहे हैं. 


तनाव में कर्मचारी


अमेरिकी एनालिटिक्स कंपनी गैलप  की ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कर्मचारी खुश नहीं हैं. बता दें कि गैलप दुनियाभर में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई पर रिपोर्ट बनाती है. इसने सर्वे में शामिल लोगों को तीन कैटेगरी में बांटा है. इसमें संपन्न, संघर्षरत और पीड़ित शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक  सिर्फ 14 फीसदी भारतीय कर्मचारी खुद को संपन्न मानते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 86 फीसदी कर्मचारी खुद को परेशान मानते हैं. इन्होंने खुद को संघर्षरत और पीड़ित कैटेगरी में रखा हुआ है. ये रिपोर्ट ये बताती हैं कि आज के वक्त अलग-अलग संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी काफी तनाव महसूस कर रहे हैं. 


कैसे पता चला कौन कितना तनाव में?


बता दें कि इस रिपोर्ट में जिन लोगों ने अपनी स्थिति को 7 या अधिक अंक की रेटिंग दी है. उन्हें संपन्न कैटेगरी में रखा गया है. वहीं इन सभी को अगले 5 साल में अपने जीवन में पॉजिटिव सुधार होते दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा जिन कर्मचारियों ने 4 से 7 के बीच रेटिंग दी है, उन्हें संघर्षरत कैटेगरी में रखा गया है. यह लोग अपनी जिंदगी के बारे में अनिश्चित और नेगेटिव विचार रखते हैं. इतना ही नहीं ये सभी लोग फाइनेंशियल संकटों का भी सामना कर रहे हैं. इसके अलावा 4 और उससे नीचे रेटिंग देने वालों को पीड़ित वर्ग में डाला गया है. इन सभी कर्माचारियों को अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है. 


इस देश के कर्मचारी खुश


गैलप के मुताबित भारत से ज्यादा पड़ोसी देश नेपाल के कर्मचारी खुश हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर कर्मचारी खाने-पीने की चीजों, घर, बीमारी और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं. इसके अलावा दक्षिण एशिया में संपन्न कर्मचारी सबसे कम हैं. नेपाल के 22 फीसदी कर्मचारियों ने खुद को टॉप कैटेगरी में रखा है. भारत के लगभग 35 फीसदी कर्मचारी रोजाना गुस्सा होते हैं. वहीं श्रीलंका में यह आंकड़ा 62 फीसदी और अफगानिस्तान में 58 फीसदी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कर्मचारी संघर्ष करने के बावजूद काम में जुटे हुए हैं.


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