ऐसी थी दुनिया की सबसे शक्तिशाली तोप, लगता था 100 किलो बारुद और 50 किलो वजनी गोला
राजा महाराजा युद्ध के दौरान दुश्मनों से लड़ने के लिए तोप का निर्माण करवाते थे. सबसे पहले तोप का इस्तेमाल पानीपत के युुद्द के दौरान किया गया था.
राजा महाराजा दुश्मनों को लोहा देने के लिए तोप का निर्माण करवातेे थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसेे बड़ी तोप कौनसी है और जब उसका परिक्षण किया गया तो क्या हुआ होगा और क्या उसे कभी किसी दुश्मन पर चलाया भी गया या नहीं.
आपके इन सभी सवालों का जवाब देते हुए बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' है. ये तोप जयगढ़ किलेे में रखी गई है. जिसकी ध्वनि ही विजय घोष का प्रतिक मानी जाती थी. 16वीं शताब्दी केे युद्ध में बड़े स्तर पर तोपों का इस्तेमाल किया गया था. जिनका सबसे प्रभावी उपयोग पानीपत के युद्ध में बाबर ने किया था.
परिक्षण करते समय ही बन गया था तलाब
जब इस तोप का निर्माण किया गया था उस समय ये उस समय येे दुनिया की सबसे बड़ी तोप थी. इस तोप का निर्माण सन् 1699-1743 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान किया गया था. जिसे 1720 ईस्वी में जयगढ़ में रखा गया था. 50 टन वजनी इस तोप के बैरल की लंबाई 6.15 मीटर है. बैरल की नोक के पास की परिधि 2.2 मीटर और पीछे की परिधि 2,8 मीटर है. वहीं बैरल के बोर का व्यास 11 इंच और टिप पर उसकी मोटाई 8.5 इंच है.
कभी नहीं किया गया इस्तेमाल
इस तोप को एक बार चलाने में 100 किलो बारूद और 50 किलो वजनी गोले की जरुरत होती थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तोप का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया. इसके बनने के बाद जब इसका परिक्षण किया गया था तो इसका गोला 35 किलोमीटर दूूर जाकर गिरा था और जिस चाकसू कस्बे में ये गोला गिरा था वहां एक तालाब बन गया था.
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