संस्कृत में छपने वाले पहले अखबार का क्या नाम, जानिए कैसे हुई थी इसकी शुरूआत
संस्कृत को भारत का सबसे प्राचीन भाषा कहा जाता है, इसे देवों की भाषा में कहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि संस्कृत भाषा का पहला अखबार कौन सा था और ये कहां से शुरू हुआ था.
संस्कृत को सबसे प्राचीन भाषा मानी जाती है. संस्कृत से कई शब्दों को हिंदी और अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं में शामिल किया है. संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा जाता है. हालांकि हर जगह संस्कृत भाषा में बातचीत और इस्तेमाल नहीं किया जाता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि संस्कृत भाषा में पहला अखबार कौन सा प्रकाशित हुआ था और इसके संपादक कौन थे.
संस्कृत
संस्कृत भाषा कभी भारत के बुद्धिजीवियों की भाषा हुआ करती थी. उस दौर में इसे ज्ञान की भाषा कहा जाता था. हालांकि संस्कृत को जीवित रखने के लिए सरकार काम कर रही है. भारत के उत्तराखंड राज्य की राजभाषा संस्कृत है. उत्तराखंड राजभाषा अधिनियम 2009 के अंतर्गत संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में घोषित किया गया है. बता दें उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है, जिसने संस्कृत को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी है. उत्तराखंड में यह निर्णय 2010 में लिया गया था. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करना और उसके अध्ययन और प्रयोग को बढ़ावा देना था.
संस्कृत अखबार
भारत का पहला संस्कृत भाषा का अखबार सुधर्मा अखबार के रूप में सामने आया है. सुधर्मा अखबार दुनिया में एकमात्र संस्कृत भाषा का अखबार है. बता दें कि 1970 से कर्नाटक के मैसूर से प्रकाशित होने वाला ये अखबार संस्कृत के महान विद्वान कलाले नांदुर वरदराज आयंगर ने शुरू किया था. एक पेज के इस अखबार को केरल, असम, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडू के पुस्तकालयों में जगह मिलती थी. इसके अलावा पाठकों में ज्यादातर विद्यार्थी, शिक्षण संस्थानों और धार्मिक संस्थानों के लोग शामिल हैं. कुछ एक पाठक अमेरिका और जापान से भी थे.
इन गांव में बोला जाता है संस्कृत
मत्तूर- कर्नाटक के मत्तूर में आज भी लोग संस्कृत में बात करते हैं. गंगा नदी के तट पर स्थित मत्तूर के लोगों की प्रथम भाषा यही है. दिलचस्प बात ये है कि यहां आपको हर घर में डॉक्टर इंजीनिय मिल जाएंगे.
झिरी- मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित झिरी में बच्चे-बुजुर्ग सभी संस्कृत में बातचीत करते हैं. यहां के लोगोें की प्रथम भाषा यही है.
सासन- ओडिशा के गुर्दा जिले में स्थित सासन संस्कृत गीतकार जयदेव का जन्म स्थल है. इस गांव में भी लोगों की मुख्य भाषा संस्कृत है और हर घर का व्यक्ति इसी भाषा में बातचीत करता है.
बघुवार- मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में स्थित बघुवार में आज भी एक-दूसरे से संस्कृत भाषा में ही बातचीत होती है. कभी आप जाएंगे तो यहां हर व्यक्ति आपको संस्कृत में बात करता हुआ मिल जाएगा.
गनोडा- राजस्थान के बंसवाड़ा में स्थित गनोडा में प्राथमिल भाषा संस्कृत ही है. यहां बच्चों से लेकर बूढ़े तक संस्कृत में बातचीत करते हैं.
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