फर्जी एनकाउंटर के मामले में इस राज्य की पुलिस सबसे ज्यादा बदनाम, कैसे लगा यह ठप्पा?
जब पुलिस द्वारा की गई मुठभेड़ संदिग्ध परिस्थितियों में दिखती है या फिर किसी एनकाउंटर में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है, तब इसे "फर्जी एनकाउंटर" कहा जाता है.
सुल्तानपुर मंगेश यादव एनकाउंटर केस (Mangesh Yadav Encounter Case) में अब सोशल मीडिया पर दो धड़े बन गए हैं. एक धड़ा इस एनकाउंटर के समर्थन में है, वहीं दूसरा धड़ा कह रहा है कि पुलिस की ये कार्रवाई सही नहीं लगती.
यहां तक कि विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि यूपी की पुलिस जाति देख कर कार्रवाई करती है. चलिए आपको आज इस खबर में बताते हैं कि किस राज्य की पुलिस पर सबसे ज्यादा फेक एनकाउंटर करने के आरोप लगे हैं.
सबसे ज्यादा फेक एनकाउंटर कहां हुए हैं
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में देश में सबसे ज्यादा फेक एनकाउंटर के मामले उत्तर प्रदेश में आए थे. यूपी में इस साल लगभग 77 फीसदी फेक एनकाउंटर हुए थे. दरअसल, 6 जनवरी 2019 को गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में बताया था कि देश में साल 2018 में 22 फेक एनकाउंटर हुए थे.
इन मामलों में अकेले उत्तर प्रदेश से 17 फेक एनकाउंटर के मामले थे. मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश की सरकार ने फेक एनकाउंटर की वजह से जो मुआवजा दिया उसकी राशि 13 करोड़ 23 लाख रुपये थी.
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किसी एनकाउंटर को फर्जी कब बताया जाता है
दरअसल, जब पुलिस द्वारा की गई मुठभेड़ संदिग्ध परिस्थितियों में दिखती है या फिर किसी एनकाउंटर में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है, तब इसे "फर्जी एनकाउंटर" कहा जाता है. हालांकि, पुलिस द्वारा किया गया एनकाउंटर फर्जी है या नहीं, इसका फैसला जांच के बाद अदालत या फिर जांच कर रही एजेंसियां ही करती हैं.
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पुलिस किन परिस्थितियों में एनकाउंटर करती है
कुछ विशेष परिस्थितियों में आत्मरक्षा (Self-Defense) या अत्यावश्यकता (Necessity) की स्थिति में पुलिस अपराधी का एनकाउंटर कर सकती है. जैसे- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 96-106 आत्मरक्षा का अधिकार देती है. इसके अनुसार, यदि पुलिसकर्मी या कोई व्यक्ति अपनी जान बचाने के लिए बल का प्रयोग करता है, तो इसे आत्मरक्षा माना जाएगा.आवजा दिया उसकी राशि 13 करोड़ 23 लाख रुपये थी.
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