भारत के सूर्य मिशन आदित्य एल-1 ने सूरज की ओर तीसरा कदम बढ़ा लिया है यानी आदित्य ने पृथ्वी की कक्षा का तीसरा चक्कर (मैन्यूवर) पूरा कर लिया है. इसके बाद अब आदित्य पृथ्वी की अंडाकार कक्षा में पहुंच गया है और वहां चक्कर काट रहा है. इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. अब 15 सिंतबर को आदित्य अगले पड़ाव पर जाएगा और इस मिशन का खास दिन माना जा रहा है. ऐसे में सवाल है कि आखिर इस दिन क्या होने वाला है और किस वजह से 15 सितंबर का दिन खास है?


15 सितंबर को क्या होगा?


अभी आदित्य एक के बाद एक कक्षा पार करते हुए सूर्य के करीब पहुंच रहा है. इसरो का 'सोलर यान' अब पृथ्वी से सबसे निकटतम 296 किलोमीटर और सबसे अधिकतम 71,767 किलोमीटर की दूरी पर है. 15 सितंबर सुबह 2 बजे उपग्रह आदित्य एल1 को चौथी कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद से सौलर मिशन का नया प्रोजेक्ट शुरू होगा. दरअसल, 15 सितंबर को कक्षा चेंज होने के साथ ही इसकी स्पीड में बदलाव किया जाएगा और पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालने की तैयारी की जाएगी. 


इसके बाद इसे काफी स्पीड दी जाएगी ताकि ये सूरज के एल-1 तक पहुंच जाए. इसके साथ ही ट्रांस लैगरेंजियन की प्रोसेस भी शुरू हो जाएगी और फिर ये सूर्य की ओर टारगेट पर स्पीड से बढ़ेगा. यहां पहुंचने के बाद सूर्य की तरफ टारगेट और एंगल सेट कर स्पीड से पुश किया जाता है. यहां ठीक वैसे ही किया जाएगा, जैसे झूलता झूलते वक्त पहले ओब्जेक्ट को पूल करके आगे धकेला जाता है, ऐसे ही आदित्य के साथ भी वेग को नियंत्रित करके सूर्य की तरफ बढ़ाया जाएगा. 


18 सितंबर को आदित्य एल1 धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला जाएगा, इस प्वाइंट को धरती का एग्जिट प्वाइंट कहा जाता है, क्योंकि यहां के बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव काफी कम हो जाएगा. इसके बाद कुछ वक्त यह एल-1 पर पहुंच जाएगा, जिस पॉइंट पर पृथ्वी और सूर्य दोनों की एनर्जी काम नहीं करती है. यहां पर एक जगह रहकर ही आदित्य सूर्य से निकलने वाली रोशनी और सौर ब्लास्ट के बारे में अध्ययन करेगा.


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