भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले तीन महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं. वहीं धरती पर लौटने के लिए उन्हें आने वाले कुछ महीने और इंतजार करना पड़ेगा. इस बीच सुनीता विलियम्स को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. उन्हें नासा ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) का कमांडर  (Commander of ISS) नियुक्त किया है. ये दूसरी बार है जब सुनीता विलियम्स को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है.


इस बीच उनसे पहले ये जिम्मेदारी संभाल रहे रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको दो अन्य यात्रियों के साथ धरती पर वापस गए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर स्पेस स्टेशन का कमांडर कैसे बनाया जाता है और उसकी क्या जिम्मेदारियां होती हैं.


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कैसे होती है ISS कमांडर की नियुक्ति?


ISS का कमांडर कौन होगा ये फैसला अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस, जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए और कनाडाई स्पेस एजेंसी मिलकर करती हैं. गौरतलब है कि ISS का कमांडर क्रू मेंबर्स के काम और सेहत के लिए जिम्मेदार होता है. वो पृथ्वी पर मौजूद टीमों के साथ लगातार कम्युनिकेट करता है और इमरजेंसी की स्थिति में फैसले लेता है.


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ISS कमांडर बनने के लिए क्या है जरुरी?


ISS कमांडर बनने के लिए एक उच्च स्तर की शिक्षा आवश्यक होती है. आमतौर पर कमांडर इंजीनियरिंग, विज्ञान या गणित जैसे विषयों में स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री रखते हैं. इसके अलावा उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिए खास तरह की ट्रैनिंग भी लेना होती है. साथ ही कमांडर बनने के लिए अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव होना बहुत जरूरी है. कई मिशनों में काम करके ही एक अंतरिक्ष यात्री कमांडर बनने के लिए जरुरी कौशल और अनुभव हासिल कर सकता है.


वहीं एक कमांडर ऐसा होना चाहिए जो कठिन समय में टीम का नेतृत्व कर सके और उसका मनोबल बढ़ा सके. साथ ही एक कमांडर को स्पेस स्टेशन के सभी उपकरणों और सिस्टम के बारे में अच्छी खासी जानकारी होनी चाहिए. उसे किसी भी तरह की तकनीकी समस्या का समाधान करना आना चाहिए.


ISS कमांडर की जिम्मेदारी


स्पेस स्टेशन का कमांडर एक बहुत ही खास भूमिका निभाता है. ऐसे में कमांडर को अपनी टीम को प्रेरित करना और उन्हें एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करना होता है. कमांडर मिशन के सभी पहलुओं पर नजर रखता है और सुनिश्चित करता है कि सभी काम समय पर और सही तरीके से पूरे हों. साथ ही कमांडर को ग्राउंड कंट्रोल और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क में रहना होता है. वहीं कमांडर को स्पेस स्टेशन के सभी उपकरणों और सिस्टम का रखरखाव करना होता है. इसके अलावा किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में कमांडर को शांत रहकर सही निर्णय लेना होता है.          


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