भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी वुच विल्मोर 200 से ज्यादा दिनों से स्पेस पर फंसे हुए हैं. हालांकि अब सुनीता विलियम्स को लेकर खबर आ रही है कि वो स्पेस स्टेशन से बाहर निकलकर स्पेस वॉक करेंगी. क्या आप जानते हैं कि स्पेस वॉक क्या होता है और ये कब किया जा सकता है.
स्पेस में फंसी सुनीता विलियम्स
सुनीता विलियम्स और उनके साथी वुच विल्मोर जून से ही स्पेस में फंसे हुए हैं. उनके यान में तकनीकी दिक्कतों के कारण उनकी वापसी लगातार टल रही है. पिछले कुछ दिनों पहले सुनीता विलियम्स और उनके साथ ने स्पेस में ही क्रिसमस और न्यू ईयर मनाया था. जिसकी फोटो नासा ने सोशल मीडिया पर जारी किया था.
नासा आयोजित करेगा स्पेस वॉक
बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 16 और 23 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए स्पेसवॉक आयोजित करने जा रहा है, ये स्पेसवॉक दो चरण में होगा. नासा का पहला स्पेसवॉक में 16 जनवरी को होगा. जिसमें अंतरिक्ष यात्री निक हेग के साथ सुनीता विलियम्स स्पेस स्टेशन पर रेट गायरो असेंबली बदलेंगी, एक्स-रे टेलीस्कोप के लिए लाइट फिल्टर के क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक करेंगी. यह स्पेसवॉक शाम 05:30 बजे शुरू होगी.
इसके अलावा नासा की दूसरी स्पेसवॉक 23 जनवरी को होगी. जिसमें अंतरिक्ष यात्री स्टेशन के बाहरी हिस्से से रेडियो एंटीना को हटाएंगे और सतह से सूक्ष्मजीवों के नमूने एकत्र करेंगे. इसका उद्देश्य ये देखना है कि कक्षीय परिसर में कोई सूक्ष्मजीव मौजूद तो नहीं हैं. बता दें कि यह स्पेसवॉक भी शाम 05:30 बजे शुरू होगा और लगभग 6.5 घंटे तक चलेगा.
क्या होता है स्पेस वॉक?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक जब भी कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में किसी यान से बाहर निकलता है, तो उसे स्पेसवॉक कहा जाता है. दरअसल स्पेसवॉक को तकनीकी रूप से ईवीए कहा जाता है. बता दें कि EVA का मतलब एक्स्ट्राव्हीक्यूलर एक्टिविटी होता है.
स्पेस वॉक के लिए होता है खास शूट
बता दें कि अंतरिक्षयात्री जब भी स्पेसवॉक पर जाते हैं, तो सेफ्टी के लिए खास स्पेससूट पहनते हैं. इन स्पेससूट के अंदर सांस लेने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन होती है. इसके अलावा प्यास बुझाने के लिए पानी भी मौजूद रहता है. एस्ट्रोनॉट्स स्पेसवॉक पर निकलने से घंटों पहले ही स्पेससूट पहन लेते हैं, बता दें कि ये सूट प्रेशराइज्ड होते हैं, यानी इनमें ऑक्सीजन भरी होती है. अपने यान से बाहर निकलने से पहले एस्ट्रोनॉट शुद्ध ऑक्सीजन लेते हैं, जिससे उनके शरीर में मौजूद नाइट्रोजन कैसे की मात्रा जीरो हो जाए. क्योंकि स्पेसवॉक के दौरान नाइट्रोजन होने से से दिक्कत हो सकती है.
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