आ गया कई महीनों तक हवा में उड़ने वाला प्लेन, ऐसा दिखता है और खासियत तो गज़ब की हैं!
पहली बार जब इस विमान ने उड़ान भरी थी तो लगभग 16 महीने में इसने पूरी दुनिया को नांप दिया था. यानी 16 महीनों तक चले अपने सफर में इस विमान ने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा दिया था.
आपने सबसे लंबी फ्लाइट के बारे में तो सुना ही होगा. सिंगापुर से न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक प्लेन दुनिया की सबसे लंबी हवाई यात्रा के लिए उड़ान भरता है, इस दौरान यात्री कुल 17 घंटे 40 मिनट से ज्यादा समय तक हवा में रहते हैं. इतने में ही लोगों की हालत खराब हो जाती है, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि एक ऐसा प्लेन आ गया है जो महीनों तक हवा में उड़ता रहता है तो आप क्या कहेंगे. सबसे बड़ी बात कि इसे उड़ने के लिए किसी भी फ्यूल की जरूरत नहीं होती.
सोलर इम्पल्स 2 के बारे में जानिए
आपको बता दें इस प्लेन का नाम है सोलर इंप्लस 2 और इसे बनाया है बरट्रैंड पिकार्ड (Bertrand Piccard) और बरट्रैंड ब्रॉशबर्ग (Bertrand Borschberg) ने. लेकिन इसने तब इतिहास रच दिया था जब साल 2016, दुनिया के सामने आया 17,000 सोलर पैनल्स के साथ एक ऐसा प्लेन जो लंबे समय तक हवा में उड़ सकता था वो भी बिना एक बूंद फ्यूल के. सबसे बड़ी बात की 747 बोइंग इंजन वाले इस प्लेन का वजन किसी एसयूवी कार से भी कम था.
पहली बार जब इस विमान ने उड़ान भरी थी तो लगभग 16 महीने में इसने पूरी दुनिया को नांप दिया था. यानी 16 महीनों तक चले अपने सफर में इस विमान ने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा दिया था. हालांकि, इस दौरान इसने कई जगहों पर लैंडिंग की. लेकिन अब इस प्लेन को लैंडिंग की जरूरत नहीं है और यह महीनों तक लगातार हवा में उड़ता रह सकता है.
अब कितने दिनों तक हवा में उड़ता रहेगा प्लेन
साल 2019 में इस प्लेन को एक यूएस-स्पेनिश स्टार्टअप कंपनी ने खरीद लिया और फिर इसमें कई तरह के बदलाव कर के उसे अब ऐसा बना दिया है कि ये प्लेन कई महीनों तक हवा में ही उड़ता रह सकता है. दरअसल, इस कंपनी ने इस प्लेन को एक पेसुडो सेटेलाइट की तरह बनाने के लिए खरीदा और उसने इसे उसी तरह से मॉडिफाई किया है.
सीएनएन से बात करते हुए कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि वह इस प्लेन को एक पेसुडो सेटेलाइट की तरह डिवेलप कर रहे हैं, ताकि ये महीनों तक हवा में उड़ते हुए ठीक उसी तरह से काम कर सके जैसे कि एक सेटेलाइट करता है. कंपनी का कहना है कि ऐसा करके वह सेटेलाइटों के मुकाबले कम खर्चे में उसी तरह का काम कंपनियों को दे सकती है और सेटेलाइट से जो प्रदूषण होता है पृथ्वी को उससे भी बचा सकती है.
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