घरों पर बुलडोजर चलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत दिया फैसला, जानें ये क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सख्त टिप्पणी की है और बिना मुकदमे के मकान गिराने को गलत ठहराया है. एससी ने अनुच्छेद 142 के तहत इसपर फैसला दिया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये है क्या?
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (13 नवंबर 2024) को बुलडोजर पर सुनवाई की और कहा कि सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो. इसदौरान कवि प्रदीप की एक कविता का हवाला देते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि घर सपना है, जो कभी न टूटे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का भी हवाला दिया. सिर्फ यही मामला नहीं है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का हवाला दिया हो, इससे पहले चंड़ीगढ़ मेयर चुनाव हो, राजीव गांधी का हत्याकांड पर फैसला हो या फिर राम मंदिर फैसला. सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर कई फैसलों में अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करता आया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर अनुच्छेद 142 है क्या? चलिए सविंधान के इस खास कानून को जानते हैं.
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क्या है संविधान का अुच्छेद 142?
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष आदेश देने की शक्ति प्राप्त है. इस अनुच्छेद के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए ऐसा आदेश पारित कर सकता है, जो किसी लंबित मामले या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए जरुरी हो. यह आदेश अन्य मामलों में मिसाल के रूप में नहीं लिया जा सकता. इस अनुच्छेद की शक्ति विवेकाधीन होती है, यानी कोर्ट इसे अपनी समझ और स्थिति के अनुसार लागू करता है.
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अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट में क्या शक्तियां मिली हैं?
अनुच्छेद 142 की शक्तियां सीमित हैं. संविधान के विशेषज्ञ मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसका उपयोग करते समय कुछ जरुरी सिद्धांतों का पालन करता है, जिनमें न्यायिक संयम और न्यायिक सक्रियता प्रमुख हैं. कोर्ट इस अधिकार का इस्तेमाल करते समय कानूनी संस्थाओं की शक्तियों का सम्मान करता है और किसी भी कानूनी प्रावधान को समाप्त करने या उसकी अवहेलना करने का प्रयास नहीं करता. इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना होता है.
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