Supreme Court on Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट में आज (8 नवंबर 2024) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया. इस फैसले में सीजेआई ने कहा है किसंस्थान को स्थापित करने और उसके सरकारी तंत्र का हिस्सा बन जाने में अंतर है, लेकिन आर्टिकल 30(1) का मकसद यही है कि अल्पसंख्यकों की ओर से बनाया गया संस्थान उनके जरिये ही चलाया जाए. चाहे कोई शैक्षणिक संस्था संविधान लागू होने से पहले बनी हो या बाद में... इससे उसका दर्जा नहीं बदल जाएगा.” दरअसल केंद्र सरकार ने इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि AMU को अल्पसंख्यक खांचे में रखना सही नहीं है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने AMU को अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी के रूप में बनाए रखना अनुच्छेद 30 के तहत सही ठहराया है. इस बची चलिए जानते हैं कि देश में आखिर कितनी मुस्लिम यूनिवर्सिटी हैं और क्या इस सभी यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा मिला है? चलिेए जानते हैं.


भारत में इन यूनिवर्सिटी को मिला है अल्पसंख्यक का दर्जा


भारत में कई विश्वविद्यालय हैं जिनका संचालन मुस्लिम समुदाय के द्वारा किया जाता है या जिनकी स्थापना मुस्लिम समुदाय के लिए की गई थी. इनमें से कुछ विश्वविद्यालय काफी जाने माने हैं.


अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), उत्तर प्रदेश: यह भारत का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित मुस्लिम विश्वविद्यालय है.


जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली: यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसे मुस्लिम समुदाय के लिए स्थापित किया गया था.


मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद: यह विश्वविद्यालय उर्दू भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था.


जवाहरलाल नेहरू मुस्लिम विश्वविद्यालय (JNMC), बिहार: बिहार राज्य के पूर्णिया जिले में स्थित इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1971 में हुई थी. यह एक अन्य प्रमुख मुस्लिम संस्थान है, जिसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त है. यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से बिहार के मुस्लिम समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था.


नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ (NUALS), केरल: कोच्चि, केरल में स्थित NUALS संस्थान है, जो अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर देता है, खास रूप से Law के क्षेत्र में. हालांकि यह एक अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त नहीं है, लेकिन यहां मुस्लिम छात्रों को शिक्षा के लिए खास अवसर दिए जाते हैं.


पटना यूनिवर्सिटी, बिहार: पटना विश्वविद्यालय भी एक प्रसिद्ध संस्थान है जो अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा देता है. यहां मुस्लिम छात्रों के लिए खास छात्रवृत्तियां और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, हालांकि इसे अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला है.


कर्नाटका मुस्लिम यूनिवर्सिटी, कर्नाटका: कर्नाटका मुस्लिम यूनिवर्सिटी (KMU) की स्थापना 2000 में हुई थी. यह विश्वविद्यालय मुस्लिम समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था और इसे अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है.


क्या सभी यूनिवर्सिटी को मिलता है अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का दर्जा?


भारत में मुस्लिम विश्वविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन यह सभी विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त नहीं करते. अल्पसंख्यक दर्जा पाने के लिए एक विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कुछ मानदंडों को पूरा करना होता है, जिसमें यह सिद्ध करना कि विश्वविद्यालय खास समुदाय के छात्रों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से स्थापित किया गया है. हालांकि अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटीज को खास तरह के सरकारी लाभ मिलते हैं. जिसमें छात्रवृत्ति जैसी चीजें शामिल होती हैं.


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