Science Behind Swing Bowling: भारत में क्रिकेट किसी धर्म से काम नहीं है. लगभग हर उम्र के लोगों के बीच क्रिकेट को लेकर जोश ओ जुनून है. भारत में इन दिनों आईपीएल खेला जा रहा है जिसकी दीवानगी अपने चरम पर है. कुछ ही हफ्तों बाद 2024 का T20 वर्ल्ड कप भी खेला जाना है. क्रिकेट में जहां शानदार चौके छक्के देखने का मजा आता है. तो वहीं बल्ले और विकेट के बीच से घुसती हुई स्विंग होती गेंदे देखने का भी अपना अलग मजा होता है.
वर्ल्ड कप 2023 में भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की स्विंग गेंदबाजी के आगे दुनिया के तगड़े तगड़े बल्लेबाज मात खा गए थे. शमी की बॉल हवा में सांप की तरह लहराती हुई विकटों में घुस जाती थी. लेकिन क्या आपको पता है क्रिकेट की गेंद स्विंग होती कैसे है. क्या होता है इसके पीछे कोई साइंस या फिर होती है कोई ट्रिक.
एयरोडायनेमिक्स करते हैं काम
स्विंग तीन तरह की होती है. कन्वेंशनल स्विंग, रिवर्स स्विंग और कंट्रास्ट स्विंग. कोई भी तेज गेंदबाज जब गेंद को स्विंग करवाता है. तो उसमें एयरोडायनेमिक्स काम करते हैं. एयरोडायनेमिक्स यानी हवा में कोई चीज किस गति से आगे ट्रैवल करेगी. स्विंग गेंदबाजी का मतलब होता है. गेंद हवा में जाए और अपनी डायरेक्शन को बदल ले. इसे लेकर नासा के पूर्व वैज्ञानिक और क्रिकेट के प्रशंसक रविंद्र मेहता ने बड़े ही विस्तार से बताया है. उन्होंने 20 साल तक एयरोडायनेमिक्स पर रिसर्च की.
साल 2006 में उन्होंने ईएसपीएन क्रिकइंफो पर लिखे एक लेख में इस बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था की गेंद को स्विंग करने के लिए गेंद के दोनों तरफ हवा के बहाव की अलग स्पीड की जरूरत होती है. गेंद में लैटरल फोर्स लाने के लिए हवा के अलग स्पीड सही होती है जो गेंद की सीम का यूज करके लाई जा सकती है.
उन्होंने आगे इस बारें बताया कि गेंद की चारों तरफ हवा की एक पतली परत होती है. जो आपस में जुड़ी नहीं होती. एक पॉइंट बाद यह परत गेंद से हट जाती है. जब यह गेंद से हटती है. उस जगह गेंद का हवा से दबाव कम हो जाता है. वहीं से गेंद बगल की ओर घूम जाती है. इसे ही स्विंग कहते हैं.
कंडीशन भी करते हैं सपोर्ट
यूं तो गेंदबाजों को स्विंग करने के लिए कंडीशंस का भी सपोर्ट चाहिए रहता है. आपने अक्सर देखा होगा जब क्लॉडी मौसम होता है तो कोई भी टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करती है क्योंकि उसे समय ज्यादा स्विंग के चांस रहते हैं. क्योंकि उस दौरान बादल होते हैं और वह हवा में डेंसिटी को कम कर देते हैं. इस वजह से तेज गेंदबाजों को गेंद स्विंग कराने में मदद मिलती है.
गेंदबाज का क्यो रोल होता है?
भले ही कोई गेंदबाज स्विंग के पीछे को समझ ले. लेकिन अगर वह उसे सही से एग्जीक्यूट नहीं कर पाएगा. तो यह सब उसके किसी काम नहीं आएगा. गेंदबाज को भी गेंद को किस तरह से पकड़ना है. गेंद की सीम को कैसे होल्ड करना है. उसकी एक साइड को कैसे सेफ रखना है और दूसरी साइड को खुरदुरा बनाकर रखना है. यह सब काम बॉलर को देखने होते हैं.
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