रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने की तैयारी कर रहा यह देश, जानें इससे क्या होगा फायदा?
लवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने से ट्रांसपोर्ट सेक्टर की ऊर्जा क्षमता में सुधार होगा. इससे ना केवल रेलवे के लिए सौर ऊर्जा पैदा होगी, बल्कि इससे ट्रेनों की संचालित लागत को भी कम किया जा सकता है.
दुनिया अब बिजली उत्पादन के लिए ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है. खासतौर से सोलर पैनल के माध्यम से बिजली बनाने की कवायद अब और तेज हो गई है. अभी तक सोलर प्लांट्स लगाने के लिए खाली जमीन, छत और खेतों का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब एक देश ऐसा है जो सोलर पैनल्स को रेलवे की पटरियों पर बिछाने की बात कर रहा है. चलिए आज इस खबर के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कौन सा देश ऐसा कर रहा है
दुनिया में पहली बार ऐसा काम स्विट्जरलैंड करने जा रहा है. स्विट्जरलैंड ने फैसला किया है कि वह रेल की पटरियों पर कालीन की तरह सोलर पैनल्स को बिछाएगा. आपको बता दें, स्विस स्टार्ट-अप सन-वेज को न्यूचैटेल के पश्चिमी कैंटन में तीन साल की पायलट परियोजना के लिए हरी झंडी दे दी गई है, जिसका काम 2025 में शुरू हो जाएगा.
इसके क्या फायदे होंगे
स्विट्जरलैंड में रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने की योजना न केवल स्विट्जरलैंड की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा. एक्सपर्ट का अनुमान है कि केवल रेलवे ट्रैक पर लगे सोलर पैनल सालाना हजारों मेगावाट बिजली उत्पन्न कर सकते हैं. इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने से जमीन की खपत में भी कमी आएगी.
ट्रेनों का किराया भी कम हो सकता है
इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने से ट्रांसपोर्ट सेक्टर की ऊर्जा क्षमता में सुधार होगा. इससे ना केवल रेलवे के लिए सौर ऊर्जा पैदा होगी, बल्कि इससे ट्रेनों की संचालित लागत को भी कम किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ को इससे यात्री किराए में भी संभावित कमी आ सकती है, जिससे अधिक लोग रेलवे यात्रा को प्राथमिकता दे पाएंगे.
भारत में क्या हो रहा है
स्विट्जरलैंड में जहां रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल बिछाने की बात हो रही है. वहीं, भारत में रेलवे के कोच के ऊपर सोलर पैनल लगाने की बात हो रही है. उत्तर रेलवे तो इसका ट्रायल भी कर चुका है. दरअसल, रेलवे चाहता है कि कोच के अंदर जो पंखे और बल्ब लगे हैं उनके लिए बिजली की व्यवस्था इन्हीं सोलर पैनलों से की जाए. उत्तर रेलवे के अलावा अन्य जोन भी इस पर काम कर रहे हैं. अगर सब कुछ सही रहा तो 2025 में इस पर काम शुरू हो जाएगा.
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