नई दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में यमुना का जलस्तर काफी बढ़ गया है. दिल्ली में खतरे के निशान से ऊपर बहने के बाद आगरा में भी यमुना का जल स्तर काफी बढ़ गया है. लगातार हो रही बारिश के बाद आगरा में भी यमुना का लेवल काफी बढ़ गया है. खबरें आ रही हैं कि यमुना का पानी ताजमहल की दीवार तक आ गया है, जो पिछले कुछ सालों में पहली बार हुआ है. यमुना में बढ़ने पानी को देख लोगों को लग रहा है कि अब ये पानी ताजमहल के अंदर घुस जाएगा, जिससे एतिहासिक इमारत में दिक्कत हो सकती है.


मगर कुछ जानकारों का कहना है यमुना का जल स्तर और भी ज्यादा बढ़ने से ताजमहल की बिल्डिंग को कोई असर नहीं पड़ेगा और बाढ़ के समय में भी बिल्डिंग के अंदर पानी नहीं घुसेगा. ऐसे में सवाल है कि आखिर ताजमहल के लिए ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि ज्यादा पानी होने पर भी ताजमहल के अंदर पानी नहीं आएगा. 


बता दें कि करीब आधी शताब्दी के बाद ऐसा नजारा देखने को मिला है, जब यमुना का पानी ताजमहल की दीवारों के करीब आ गया है. बताया जा रहा है कि साल 1978 में ऐसा हुआ था, जब यमुना का पानी दीवारों तक पहुंच गया था. अभी तस्वीरों में दिख रहा है कि ताजमहल के पीछे बना गार्डन पानी में डूब गया है और पानी ताजमहल के काफी करीब आ गया है. मगर पानी भराव ज्यादा होने की स्थिति में ताजमहल को लेकर कोई भी चिंता की बात नहीं है. 


बाढ़ में भी नहीं आएगा पानी


दरअसल, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की देखरेख करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का कहना है कि पानी से इस ऐतिहासिक इमारत को कोई खतरा नहीं है. एएसआई के अधीक्षक पुरातत्वविद् राज कुमार पटेल ने इस संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, "इस बात की कोई भी संभावना नहीं है कि बाढ़ का पानी स्मारक में प्रवेश करेगा. इस इमारत को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इससे कोई खतरा नहीं है. अधिकारी का कहना है कि अगर तेज बाढ़ भी आ जाए तो मकबरे में पानी प्रवेश नहीं कर सकता है. 


ज्यादा नहीं, कम पानी है खतरा


इसके साथ ही मुख्य मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर बना है. यह चमेली फर्श पर खड़ा है और इसकी नींव में 42 कुएं हैं और कुओं के ऊपर साल की लकड़ियों की संरचना हैं. ताजमहल को एक तरह से लकड़ियों की नींव पर बनाया गया है और उन लकड़ियों के लिए कहा जाता है कि वो पानी से और ज्यादा मजबूत हो जाती है. दरअसल, जब यमुना में पानी कम हो जाता है तो ताजमहल के लिए चिंता का विषय होता है, क्योंकि इससे नींव में लगी लकड़ियां कमजोर होती हैं. कुछ लकड़ियां ऐसी हैं, जिन्हें पानी के जरिए ही ऑक्सीजन मिलता है और इससे वे ज्यादा मजबूत रहती हैं. 


इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ताजमहल को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, जिससे इमारत को कोई खतरा नहीं है. अभी आगरा में यमुना 498 फीट के स्तर पर बह रही है, जिसमें निम्न बाढ़ स्तर 495 फीट और मध्यम स्तर 499 फीट है. लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बाढ़ का पानी 500 फीट को पार कर सकता है.


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