Study: मुंहासों का एंटीबायोटिक दवाओं से जो कनेक्शन मिला है....वो हड्डियों की ग्रोथ रोक देगा
यूथ एज में मुंहासे होना सामान्य है. युवा डॉक्टर को दिखाकर दवा खाना शुरू कर देते हैं. स्टडी में परेशान करने वाले फैक्ट सामने आए हैं. एंटीबायोटिक दवा से हड्डियों की ग्रोथ तक रुक जाती है.
Acne Treatment: युवा अवस्था में चेहरे पर दाने निकलते हुए देखे होंगे. इन्हें आम बोलचाल की भाषा में मुंहासे कहा जाता है. अधिक मुंहासे निकलने पर चेहरा बिगड़ जाता है. कुछ यूथ के मुंहासे कुछ समय के लिए निकलते हैं. जबकि कुछ के निकलना बंद नहीं होते. चेहरा बिगड़ने पर युवा परेशान होते हैं और घरवाले को भी चिंता सताने लगती है. ऐसे युवा डॉक्टर से कंसल्ट कर एंटीबायोटिक खाना शुरू कर देते हैं. इस दौरान युवाओं की हड्डियों की ग्रोथ हो रही होती है. लेकिन अब जो नई स्टडी सामने आई है. उसका मुंहासे और एंटीबायोटिक दवाओं का जो कनेक्शन मिला है. वह सीधा हड्डियों की ग्रोथ से जुड़ा है.
रुकने लगती है हड्डियों की ग्रोथ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना (MUAC) के साइंटिस्ट ने इसको लेकर एक रिसर्च की. इस रिसर्च को जर्नल आफ क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन (JCI) में पब्लिश किया गया है. स्टडी में सामने आया कि मुंहासे का जो इलाज होता है, वह कई बार साल से दो साल तक चल जाता है. इस दौरान डॉक्टर मुंहासे के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं को इस्तेमाल करते हैं.
डॉक्टर आमतौर पर माइनोसाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग करते हैं. रिसर्च में मिला कि आंत में पाए जाने वाले जीवाणु गट माइक्रोबायोम और हड्डियों की ग्रोथ के बीच एक बड़ा कनेक्शन है. गट माइक्रोबायोम में कुछ भी गड़बड़ी होने पर इसका असर हड्डियों की ग्रोथ पर पड़ता है. माइनोसाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं लंबे समय तक खाने पर हड्डियों और गट माइक्रोबायोम का यही तालमेल बिगड़ जाता है और हड्डियों की ग्रोथ बाधित होने लगती है.
ऐसे काम करती है माइनोसाइक्लिन दवा
शोधकर्ताओं ने बताया कि मुंहासे के इलाज के लिए डॉक्टर माइनोसाइक्लिन दवा लिखते हैं. इस दवा को टेट्रासाइक्लिन वर्ग की एंटीबायोटिक कहा जाता है. इसमें टेट्रासाइक्लिन, डी-आक्सीसाइक्लिन तथा सेरेसाइक्लिन भी होता है. ये एंटीबायोटिक्स मुंहासे में मौजूद बैक्टीरिया का पफैलाव रोककर वहीं खत्म कर देती हैं. मुंहासे में मवाद भी कम बनती है.
चूहों पर की गई स्टडी
शोधकर्ताओं ने माइनोसाइक्लिन दवा का असर देखने के लिए चूहों पर प्रयोग किया गया. रिसर्च में सामने आया कि माइनोसाइक्लिन दवा देने के बाद कोई साइटोटाक्सिक प्रभाव या सूजन आने का असर नहीं देखा गया. लंबे समय तक दवा लेने से गट माइक्रोबायोम की संरचना में बदलाव जरूर आ गया. इसने हड्डियों की ग्रोथ में बाधा देखने को मिली. डॉक्टरों का कहना है कि किशोर अवस्था में सबसे ज्यादा हड्डियों की ग्रोथ होती है. इसी दौरान ही चेहरे पर मुंहासे अधिक निकलते हैं. एंटीबायोटिक दवा के लंबे समय तक सेवन से हड्डियों के ग्रोथ में दिक्कत आ सकती है.
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