Tax Evasion: किसी देश के शासन-प्रशासन और तमाम योजनाओं को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. इसके लिए सरकार जनता पर अलग-अलग तरह के टैक्स लगाती है. लोगों की आय पर टैक्स भी ऐसा ही एक टैक्स है. हमारे देश में अगर अपनी आय छुपाकर लोग टैक्स नहीं देते तो उनके लिए बकायदा सजा का प्रावधान किया गया है. लेकिन क्या आपको पता है कि आज से लगभग 2300 साल पहले हमारे देश में ऐसा राजा भी हुआ जिसके शासन में टैक्स चोरी करने वाले को मौत की सजा दी जाती थी.अपने इस आर्टिकल के जरिए उसके बारे में हम आपको बताएंगे-


मौर्यों के समय टैक्स चोरी पर दी जाती थी मौत की सजा-


ऐतिहासिक स्रोतों से इस बात की जानकारी मिलती है कि मौर्य साम्राज्य में टैक्स चोरी करने पर कड़ी सजा का प्रावधान था. टैक्स चोरी के आरोपी को मौत की सजा भी दी जाती थी. इसे एक बड़े अपराध के तौर पर देखा जाता था.


मेगास्थनीज की पुस्तक में मिलती है जानकारी-


सेल्यूकस निकेटर जो कि पहले सिकंदर का सेनापति था बाद में उसने सिकंदर की मौत के बाद भारत पर आक्रमण किया था.लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसे पराजित कर दिया था. उससे प्रभावित होकर सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को अपना दामाद बना लिया था. साथ ही उसने अपना एक दूत मौर्य दरबार में भेजा जिसका नाम मेगस्थनीज था. मेगास्थीज की लिखी गई किताब इंडिका में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मौर्यों के शासन में कर की चोरी करने वालों को मृत्युदंड दिया जाता था.


पाटलिपुत्र के प्रशासन की भी मिलती है जानकारी-


मेगस्थनीज की पुस्तक इंडिका में मौर्यों की राजधानी पाटलिपुत्र के प्रशासन की अच्छी जानकारी मिलती है. इसके अनुसार पाटलिपुत्र का प्रशासन 30 सदस्यों की अलग-अलग समितियों के जरिए होता था. इन समितियों की संख्या 6 थी और हर एक समिति में 5 सदस्य होते थे.इन्हीं में से छठी समिति का काम बिक्री कर वसूल करना था. बिक्री कर मूल्य के दसवें भाग के रूप में वसूल किया जाता था.


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