ये हैं भारत के सबसे ऊंचे और बड़े बांध, एक तो दुनिया के सबसे ऊंचे डैम में एक
किसी भी देश में बांध यानी डैम का होना बहुत जरूरी है. क्यों बांध के जरिए ही अलग-अलग कार्यों के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए डैम पानी के जरिए ही बिजली उत्पादन किया जाता है.
किसी भी देश के लिए बांध यानी डैम बहुत जरूरी होता है. क्योंकि डैम के जरिए ही अलग-अलग राज्यों में घरेलू, उद्योग और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा डैम के जरिए ही बिजली उत्पादन किया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि भारत का सबसे बड़ा और ऊंचा डैम कौन-कौन सा हैं.
टिहरी डैम
उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित टिहरी डैम भारत का पहला और दुनिया का 8वां सबसे ऊंचा बांध है. बता दें कि टिहरी डैम की ऊंचाई 260 मीटर है, जो 575 मीटर की लंबाई 20 मीटर की चोटी की चौड़ाई और आधार चौड़ाई 1,128 मीटर के साथ 52 वर्ग किलोमीटर के सतह क्षेत्र पर फैला है. यह विश्व की सबसे महत्वपूर्ण जलविद्युत जल परियोजना भी है. ये डैम हिमालय से बहने वाली भागीरथी और भिलंगना नदियों से पानी लेता है. पानी की आपूर्ति के अलावा इस बांध से 1,000 मेगावाट बिजली पैदा होती है. बता दें कि साल 1978 में टिहरी बांध का बनना शुरू हुआ और 2006 में यह बनकर तैयार हुआ था.
भाखड़ा नांगल बांध
इसके बाद बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर स्थित भाखड़ा नांगल बांध ऊंचाई के मामले में दूसरे नंबर पर आता है. 225 मीटर की ऊंचाई वाला यह ग्रेविटी बांध एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है. भाखड़ा नांगल का जलाशय को 'गोबिंद सागर' भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक इसमें 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी हो सकता है. इससे यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय बन जाता है. भाखड़ा नांगल बांध राजस्थान, हरियाणा और पंजाब की सरकारों का साक्षा प्रोजेक्ट है.
सरदार सरोवर बांध
सरदार सरोवर बांध भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है. गुजरात में नर्मदा नदी पर बना यह बांध 138 मीटर ऊंचा है. इसका निर्माण 1979 में शुरू किया गया था. इस बांध के जरिए गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान इन चार राज्यों को फायदा मिलता है. इस बांध की बिजली पैदा करने की क्षमता 1,450 मेगावाट है.
हीराकुंड बांध
हीराकुंड बांध दुनिया के सबसे लंबे बांधों में से एक है. ये ओडिशा में महानदी नदी पर निर्मित किया गया है. यह बांध दुनिया में सबसे लंबा मानव निर्मित बांध है. यह मिट्टी के कंक्रीट और पत्थर की संरचना है. इस बांध की ऊंचाई 200 फीट है, जिसमें 26 किमी की लंबाई है. इसकी 347.5 मेगावाट्स विद्युत उत्पादन क्षमता है. बांध की झील को हीराकुंड जलाशय कहा जाता है.
नागार्जुन सागर बाध
जानकारी के मुताबिक यह विश्व का सबसे बड़ा चिनाई वाला बांध है. ये कृष्णा नदी पर निर्मित किया गया है. इस बांध की ऊंचाई 490 फीट और लंबाई 1.6 किलोमीटर है. इस बांध की क्षमता 11, 472 मिलियन क्यूबिक मीटर है. जिसकी बिजली उत्पादन क्षमता 815.6 मेगावाट की है. बांध का नाम बौद्ध भिक्षु आचार्य नागार्जुन के नाम पर रखा गया है. इस बांध का निर्माण 1972 में किया गया था.
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