नींद लेना बहुत जरूरी होता है. दिन भर काम करने के बाद 6 से 8 घंटे की नींद स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है. यह तो हुई हम इंसानों की बात, लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसा जीव भी है जो कभी नहीं सोता है. शायद कुछ लोगों के दिमाग में घोड़े की तस्वीर बन रही होगी, लेकिन यहां हम जिस जीव की बात कर रहे हैं वो आपके भी घर में कहीं न कहीं होगा. इतना नहीं, इसकी एक खास बात यह भी है कि इसके कान नहीं होते हैं और यह अपने पैरों से सुनता है. आइए जानते हैं ये कौन-सा जीव है.


कौन-सा है वो जीव?


दरअसल, वो जीव चींटी है. यह एक ऐसा अद्भुत जीव है जो पूरी जिंदगी नहीं सोती है. यह बिना आराम किए, दिन-रात बिना थके कड़ा परिश्रम करती है और अपने दिमाग को बिजली से भी तेज बनाए रखती है. कीटों की दुनिया में, चींटी का दिमाग सर्वोच्च माना जाता है, क्योंकि ये दाने इकट्ठा करने से लेकर परिवार का समूह बनाने जैसे कठिन कार्यों में दिन-रात मेहनत करती रहती हैं.




छोटे आकार का ये जीव है काफी अनोखा


चींटी का आकार शायद सामान्य लगे, लेकिन इसमें लगभग ढाई लाख से अधिक मस्तिष्क कोशिकाएं मौजूद होती हैं. इन कोशिकाओं के प्रभाव से, चींटी निरंतर दिमाग चलाती रहती है. चारों ओर चींटियों के बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं. वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में चींटियों की लगभग 10,000 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. चींटियों के आकार की बात करें तो, एक चींटी की लंबाई 2 से 7 मिलीमीटर के बीच हो सकती है. सबसे बड़ी चींटी को "कार्पेंटर चींटी" कहा जाता है, जिसकी लंबाई 2 सेंटीमीटर तक हो सकती है.


चींटियों की विशेषता


चींटियों के बारे में एक रोचक तथ्य है कि वे अपने वजन से भी अधिक भार उठा सकती हैं. जब चींटियों को खाने की सामग्री मिलती है, तो वे अपने शरीर की अद्भुत ताकत दिखाती हैं. अनुमान के अनुसार, चींटी अपने वजन से लगभग 20 गुना ज्यादा भार उठा सकती है और उसे अपने आवास स्थान पर ले जा सकती है.


चींटियों का परिवार


जिस प्रकार सभी जीवों के लिए, परिवार और समुदाय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, उसी प्रकार चींटियों के लिए भी एक कुनबा या कॉलोनी होती है, जिसमें एक परिवार की चींटियां निवास करती हैं. इन चींटियों का भी एक निश्चित कार्य होता है. जिस प्रकार अन्य जीव अपने परिवार या समुदाय को विस्तारित करते हैं, वैसे ही चींटियां भी अपने परिवार को बढ़ाती हैं.


पैर से सुनने का काम


चींटियों के कान नहीं होते, इसलिए वे सुन नहीं सकतीं. पैरों की धमक और उसमें पाए जाने वाले तंत्रिकाओं की मदद से ये आसपास की हलचल के बारे में पता लगाती हैं. इनके घुटने और पैर में कुछ खास सेंसर लगे होते हैं, जिसकी मदद से चींटियां आसपास की गतिविधियों के बारे में फौरन पता लगा लेती हैं. इनके कुनबे में रानी चींटी की उम्र सबसे ज्यादा होती है यह 20 साल तक जिंदा रह सकती है. साथ की चींटियों की उम्र महज 45-50 दिन का होता है. कहा जाता है कि रानी चींटी के मरते ही कुछ ही दिनों में पूरा कुनबा तहस नहस हो जाता है.


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