केरल के कोल्लम में देश का पहला डिजिटल कोर्ट खुला है. लेकिन अब सोशल मीडिया पर उद्घाटन के बाद से ही डिजिटल अदालत को लेकर कई सवाल पूछे जा रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर डिजिटल अदालत क्या होता है और ये कैसे काम करता है. आज हम आपको इससे जुड़ा जवाब देंगे और बताएंगे कि यहां पर किस तरह के केसों की सुनवाई होगी.


डिजिटल अदालत


डिजिटल अदालत नाम सुनकर ये समझ में आ रहा है कि यहां पर सब कुछ डिजिटल जैसे ही होना चाहिए. बता दें कि केरल के कोल्लम में खुले देश के पहले डिजिटल अदालत में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) मामलों की सुनवाई होगी. अदालत का उद्घाटन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस बी.आर. गवई ने किया था. डिजिटल अदालत में शुरुआती फाइलिंग से लेकर अंतिम निर्णय तक सारा काम डिजिटल तरीके से ही होगा. जानिए आखिर डिजिटल कोर्ट काम कैसे करेगा. 


बता दें कि केरल में शुरू हुई देश की पहली डिजिटल अदालत को ’24/7 ON कोर्ट’ नाम दिया गया है. ऑन कोर्ट में मामलों की सुनवाई सितंबर 2024 से आरंभ होगी. जानकारी के मुताबिक अगर यह पहल सफल होती है, तो प्रदेश में और भी जगह ऑन कोर्ट स्थापित किए जा सकते हैं.  


इन केस की होगी सुनवाई 


डिजिटल कोर्ट ’24/7 ऑन (ओपन एंड नेटवर्क्ड) कोर्ट’ में शुरुआत में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई होगी. नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट प्रॉमिसरी नोट्स, एक्सचेंज बिल और चेक से संबंधित कानून हैं. हाई कोर्ट के अधिकारियों ने इस मौके पर कहा कि चेक बाउंस के मामले NI Act के कुल लंबित मामलों का लगभग दस प्रतिशत हैं. 


क्या है NI ACT


बता दें कि NI Act की धारा 138 के तहत चेक बांउस होना एक अपराध है. बता दें कि अगर आप किसी को 40,000 रुपये का चेक देते हैं, लेकिन सामने वाला व्यक्ति जब बैंक में उसे जमा कराता है और पैसा नहीं होता है. तो उस वक्त दिया हुआ चेक रिजेक्ट हो जाता है. बैंक की भाषा में इसे चेक बाउंस कहा जाएगा. NI Act 1881 में ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है. दोषी साबित पाने पर चेक की राशि का दोगुना जुर्माना या अधिकतम दो साल की कैद या दोनों हो सकती हैं.


कैसे होगा डिजिटल?


केरल हाई कोर्ट के जस्टिस राजा विजयराघवन वी ने बताया है कि टेक्नोलॉजी को कोर्ट को जोड़ने से प्रोसेस आसान हो जाएगा. उन्होंने बताया कि डिजिटल कोर्ट में एक स्मार्ट शेड्यूलिंग सिस्टम होगा, जिससे सुनवाई समय पर हो सके. वहीं शिकायतकर्ता की मदद के लिए उन्हें उनके मामलों को रियल-टाइम स्टेटस दिखाएगा. इसेक अलावा अदालत को बैंकों और पुलिस जैसे अहम संस्थानों से जोड़ा जाएगा, जिससे सूचनाओं का आदान-प्रदान आसान हो सकता है. 


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