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पीएम मोदी ने जिन गायों को दुलारा, जानिए इस नस्ल के बछड़े आते हैं किस काम

पीएम नरेंद्र मोदी ने जिन गायों को पीएम आवास पर चारा खिलाया है. इन गाय के दूध में काफी औषधीय गुण से भरपूर होते हैं. इन गायों के बछड़ों को भी संरक्षित किया जा रहा है. जानिए इस नस्ल की सारी खासियत.

 

मकर संक्रांति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास पर गायों को चारा खिलाया है. इतनी सुंदर और इतनी छोटी गायों को अधिकांश लोगों ने पहली बार देखा होगा. बता दें कि प्रधानमंत्री आवास में पीएम जिन गायों को दुलार करके चारा खिलाया है, ये गाय एक खास किस्म कि गाय हैं. हर कोई ये जानना चाहता था कि आखिर ये गायें किस नस्ल की हैं. आज हम आपको इन गायों के बारे में सारी जानकारी देंगे. 

दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की यह देसी गाय है. इसका नाम पुंगनूर है. यह बौना मवेशी विश्व की सबसे छोटी कूबड़ वाली मवेशियों की नस्ल है. लाइवस्टॉक जर्नल के मुताबिक किसानों द्वारा क्रॉस ब्रीडिंग के कारण पुंगनूर गाय विलुप्त होने की कगार पर है. यानी अन्य नस्लों के साथ मिलन कराए जाने की वजह से पुंगनूर की मूल नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है. शायद इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन गाय को अपने आवास में लाकर चारा खिलाया है, ताकि आम जनता में इस गाय के प्रति जागरूकता पैदा हो.
 फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन और एनिमल जेनेटिक्स रिसॉर्स ने इसे संकटपन्न नस्लों में शामिल किया है. द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक गनावरम में एनटीआर यूनिवर्सिटी ऑफ वेटेरीनरी साइंस के वैज्ञानिक इस गाय विलुप्त होने से बचाने के लिए कई तरह की रिसर्च कर रहे हैं और इसे संरक्षित करने का बीड़ा भी उठाया है.

गायों के बछड़ा 

बता दें कि पुंगनूर नस्ल का बछड़ा या बछिया जब पैदा होती है, तो उसकी हाइट महज 16 इंच से 22 इंच तक होती है. ये गाय अत्यधिक पौष्टिक दूध देती है. दूध 8% वसा के साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है. इसका दूध कई तरह की बीमारियों के खिलाफ कारगर होता है. इनकी कीमत एक से पांच लाख रुपये तक होती है. इन गायों के बछड़ा और बछिया को कई संस्थान संरक्षित करने का भी काम कर रहे हैं.

कितना देती है दूध

पुंगनूर गायें सामान्य गायों की तुलना में बहुत छोटी होती हैं. इन मिनिएचर पुंगनूर गायों का कद 70 से 90 सेंटीमीटर तक होता है और वजन 115 किलो से 200 किलोग्राम तक होता है. यह गाय रोजाना 3 लिटर तक दूध देती है. इसकी तुलना में मशहूर ओंगोल सांड की लंबाई 1.70 मीटर और वजन 500 किलोग्राम तक पहुंच जाता है. बता दें कि दोनों नस्ल की मवेशियों का मूल निवास स्थान आंध्र प्रदेश ही है. चित्तूर जिले के पालमनेर में लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन के मुताबिक चित्तूर जिला ही इन मवेशियों का अंतिम आश्रय स्थल है जहां लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन इसका संरक्षण कर रहा है.


पुंगनूर गायों की धार्मिक विशेषताएं

बता दें कि पुंगनूर गायों का धार्मिक और आध्यामिक महत्व भी है. लोगों की मान्यता है कि इन गायों में महालक्ष्मी का वास होता है, इसीलिए दक्षिण भारत में लगभग सभी राज्यों में संपन्न लोग इन गायों को अपने घरों में रखते हैं, रोज उनकी पूजा करते हैं. इनक गायों का दूध बहुत ही पवित्र और पौष्टिक माना जाता है, यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर सहित दक्षिण के कई प्रसिद्ध मंदिरों में भोग और क्षीराभिषेक के लिए पुंगनूर गाय के दूध का ही इस्तेमाल होता है।

कितनी हैं पुंगानूर गायें

मवेशियों की जनसंख्या रिपोर्ट 2013 के मुताबिक आंध्र प्रदेश में पुंगानूर गायों की संख्या महज 2772 थी, लेकिन कई रिसर्च सेंटर द्वारा इसका संरक्षण किए जाने के कारण अब इसकी संख्या बढ़ी है. हालांकि पुंगानूर गायों की वास्तविक संख्या कितनी है, इसका कोई सटीक डाटा नहीं है.

 

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