भारत को पूरी दुनिया में सोने की चिड़िया कहा जाता था.  भारत के राजघरानों में भी बहुत धन हुआ करता था. देश में आजादी से पहले कई शाही राजघराने थे, इन घरानों में बेशुमार संपत्ति हुआ करती थी. इन राजघरानों में हैदराबाद के नवाब का भी नाम आता है. बता दें कि आजादी के वक्त देश 565 छोटी रियासतों में बंटा हुआ था. लेकिन आजादी के बाद इन रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराया गया. लेकिन कुछ रियासतों ने शुरूआत में विलय करने से मना कर दिया था, इनमें से एक हैदराबाद रियासत के निजाम मीर उस्मान अली खान भी थे. निजाम मीर उस्मान अली खान हैदराबाद को एक स्वतंत्र रियासत बनाना चाहते थे. लेकिन अंत में सरकार के दबाव में आकर उन्होंने हैदराबाद रियासत को भारत में शामिल करने की बात पर हामी भरनी पड़ी थी. जिसके बाद भारत सरकार ने उन्हें हैदराबाद का राज प्रमुख बना दिया था. उस्‍मान अली खान के बारे में कहा जाता है कि वो 185 कैरट वाले जैकब हीरे को पेपरवेट के तौर पर इस्तेमाल करते थे. जिसकी कीमत अब करीब 1000 करोड़ रूपए मानी जाती है. 



जानिए हैदरबाद के नवाब कितने संपत्ति के थे मालिक
मीर उस्मान अली खान साल 1911 से लेकर 1948 तक तक हैदराबाद शाही घराने के नवाब थे. उनकी कुल संपत्ति तक़रीबन 230 बिलियन डॉलर के करीब थी. ऐसा माना जाता है कि निजाम के पास 185 कैरट का हीरा था, जिसका वह पेपर-वेट के रूप में किया करते थे. इसे जैकब हीरा के नाम से भी जाना जाता है. जानकारी के मुताबिक अभी यह हीरा भारत सरकार के पास संरक्षित है. वहीं  यह भी कहा जाता है है कि निजाम ने एलिज़ाबेथ-2 के शादी में उनको हीरे का हार  उपहार के तौर पर दिया था. इस हार को महारानी आखिरी सांस तक पहने रखा था.
 
25 साल की उम्र में बने निजाम
उस्मान अली खान 1911 में 25 साल की उम्र में गद्दी पर बैठे थे। उन्होंने हैदराबाद के आखिरी निजाम के रूप में 1948 तक शासन किया था. बता दें कि उन्हें दुनिया के सबसे धनी लोगों में से एक माना जाता था. निजाम के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत गोलकोंडा की खदानें थीं, जिनके वे मालिक थे और उस समय हीरों के एकमात्र सप्‍लायर थे. 24 फरवरी 1967 को उनकी मृत्यु हुई थी.