स्पेस रहस्यों से भरी दुनिया है. स्पेस को समझने के लिए लेकर भारत समेत दुनियाभर की स्पसे एजेंसी काम कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चांद पृथ्वी से हर साल दूर होते जा रहा है. जी हां, चांद और धरती के बीच की दूरी हर साल बढ़ रही है. आज हम आपको बताएंगे कि अभी तक चांद और पृथ्वी के बीच में कितनी दूरी बढ़ी है और इसका असर धरती पर क्या पड़ेगा. 


चांद


बता दें कि चंद्रमा 4.5 अरब वर्षों से अधिक समय से पृथ्वी के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबित चंद्रमा का जन्म मंगल के आकार की एक वस्तु के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी हर साल बढ़ रही है. खगोलविदों के मुताबिक चंद्रमा हर साल करीब 3.8 सेमी धरती से दूर होता जा रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका कारण अंतरिक्ष में हैवी प्लैटनरी बॉडीज हैं. खगोलविदों का कहना है कि गैलेक्सी में ग्रह होते हैं. लेकिन हर ग्रह का अपना-अपना संतुलन होता है. सभी ग्रह एकदूसरे को आकर्षित भी करते हैं. चंद्रमा के दूर जाने की वजह भी यही है. 


एक दिन में कितने घंटे


अभी सामान्य तौर पर एक दिन में 24 घंटे होते हैं. लेकिन चांद की बढ़ती दूरी के कारण दिन लंबे हो रहे हैं.  वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के सौरमंडल में अरबों साल से जारी चंद्रमा के दूर खिसकने की प्रक्रिया के कारण हमारे दिन की लंबाई बदल रही है. जानकारी के मुताबिक चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्‍वी से करीब 3 लाख 84 हजार 400 किमी दूर है. वैज्ञानिकों के मुताबिक करीब 245 करोड़ साल पहले चंद्रमा धरती से करीब 3 लाख 21 हजार 869 किमी की दूरी पर था. आसान शब्‍दों में कहें तो इस दौरान धरती और चांद के बीच की दूरी 62 हजार 531 किमी बढ़ गई है. लेकिन अब जैसे-जैसे चांद धरती से दूर होगा, वैसे-वैसे हमारे दिन के घंटे बढ़ते जाएंगे. 


खगोलविदों ने अनुमान के मुताबिक बताया है कि 245 करोड़ साल पहले चांद धरती से अभी की दूरी के मुकाबले ज्यादा नजदीक था. उस वक्त एक दिन में सिर्फ 16.9 घंटे ही होते थे. लेकिन समय बीतने पर चांद की दूरी बढ़ने के साथ दिन में 24 घंटे हुए हैं. हालांकि इस तरह की घटना का धरती पर रहने वाले जीव-जंतु, इंसान, वनस्‍पति और दूसरी सभी चीजों के जीवन पर कोई फर्क पड़ने में अभी लाखों साल लगेंगे. नासा के खगोलविदों ने 1969 में अपोलो मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर रिफ्लेक्टिव पैनल लगाए थे. इसके बाद उन्हें चांद को लेकर कुछ महसूस हुआ था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने महसूस किया है कि हर साल एक तय रफ्तार के साथ चांद हमसे दूर हो रहा है.


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