वो महिला जिसने 40 योद्धाओं के साथ मुग़लों के 10 हजार सैनिकों को घुटनों पर ला दिया
भारत में एक से बढ़कर एक विद्वान और साहसी महिलाएं रही हैं, जिनकी वीरता के किस्से आज भी लोगों को प्रेरणा देते है. आज हम एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं.
भारत वीरों की धरती रहा है. जहां पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी अपनी वीरता से इतिहास रचा है. जहां एक ओर भारत की धरती पर गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, लोपामुद्रा, अपाला और अरुंधति जैसी विदुषी महिलाएं हुई हैं, तो वहीं दूसरी ओर रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरागंनाओं ने भी अपने साहस और शौर्य से इतिहास को पलट दिया. आज हम एक ऐसी ही वीरांगना मीरा भागो के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने महज 40 सिख योद्धाओं के साथ मिलकर 10 हजार मुगलों को धूल चटा दी थी.
सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंंह नेे मीरा भागो बनाया था अंगरक्षक
मीरा भागो कितनी वीर थीं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें सिखों केे दसवें गुरु गोबिंद सिंह नेे अपना अंगरक्षक बनाया था. माई भागो की दो पीढ़ियों ने गुरुओं की सेेवा की थी.
माई भागो ने जब अपने पिता से आत्मरक्षा कौशल सिखनेे की बात कही तो वो उन्हें गांव ले आए. दरअसल उनका मानना था कि ये सब पुरुषों का काम है न कि महिलाओं का. हालांकि माई भागो ने भी जो ठान लिया था सो उन्हें करना ही था. उन्होंने जंगल में जाकर पेड़ों के साथ भाला चलाने का अभ्यास शुुरू कर दिया था. वो मार्शल आर्ट का भी अभ्यास कर रही थीं, जो करतेे हुए उन्हें काफी समय बीच चुका था.
जब मुगलों नेे की घेेराबंदी
मुगल शासक औरंगजेब नेे उस समय तक शरिया कानून लागू कर दिया था. वो सिखों में पुरुषों और महिलाओं को कतई एक बराबर दर्जा देने के पक्ष में नहीं था. ऐसे में उसके सैनिकों ने आनंदपुरी में घेराबंदी कर ली. ब्रिटेन की सिख मिशनरी सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार, जब मुगलों ने समझौते के बाद भी गुरु गोबिंद सिंह को धोखा दिया तो उन्हें वहां से निकलकर जाना पड़ा.
ये बात माई भागो को जब पता चली तो वो 40 योद्धाओं के साथ गुरु गोबिंद सिंह का पीछा कर रहे मुगलों को रोकनेे के लिए मुक्तसर झील पर पहुंच गईं. यहां उन्होंने 10 हजार मुगलों सेे वीरता से लड़ाई लड़ी. माई भागो का आक्रामक अंदाज देख मुगल सैनिकों को भी पीछे हटना पड़ा और वो वहां से भाग खड़े हुए. इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने माई भागो को अपना अंगरक्षक बना लिया था.
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