Kashmir Winter Season: भारत में सर्दियों के मौसम में दस्तक दे दी है. सर्दियों के मौसम में लोग अक्सर घूमने जाते हैं. घूमने वालों की सबसे पसंदीदा जगह में से एक होती है कश्मीर. कश्मीर की खूबसूरती अपने आप में बेजोड़ है. महान कवि अमीर खुसरो जब कश्मीर गए थे. तब उन्होंने कहा था "गर फिरदौस, रूहे ज़मीन अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त." जिसका मतलब होता है कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो वह यहीं है, वह यहीं है, वह यहीं है. तबसे ही कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा. कश्मीर की वादियां अपने आप में अनोखी है. लेकिन कश्मीर के बारे में एक ऐसी बात है. जो वहां घूमने गए करोड़ो लोग नहीं जानते होंगे.
कश्मीर में होते हैं सर्दियों के तीन मौसम
जहां भारत और दुनिया की हर एक जगह सर्दी का एक ही मौसम होता है. वहीं धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में सर्दी के तीन मौसम होते हैं. इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि कश्मीर में पढ़ने वाली सर्दियों को तीन हिस्सों में बांटा गया है. कौन से हैं यह तीन हिस्से क्या है उनके नाम आइए जानते हैं.
चिल्लई कलां से सर्दियों की शुरूआत
कश्मीर में पड़ने वाली सर्दियों को तीन हिस्सों में बांटा गया है. इन तीन हिस्सों के तीन अलग नाम रखे गए हैं. पहला नाम है चिल्लई कलां दूसरा नाम है चिल्लई खुर्द और तीसरा नाम है चिल्लाई बच्चा. आखिरी सप्ताह से ही कश्मीर में कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है यहीं से सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है. इसे चिल्लई कलां कहते हैं. यह 40 दिन तक रहता है इस दौरान तापमान बेहद नीचे होता है और बर्फबारी भी होती है.
चिल्लई खुर्द और चिल्लई बच्चा पर अंत
चिल्लई खुर्द की बात की जाए तो यह 20 दिनों तक रहता है. जिसकी शुरुआत 31 जनवरी से होती है. ये 19 फरवरी तक चलता है. चिल्लई कलां के मुकाबले चिल्लई खुर्द में ठंड थोड़ी कम होती है. सबसे बाद में आता है चिल्लई बच्चा. जिसकी शुरुआत 20 फ़रवरी से होती है. यह मात्र 10 दिन तक रहता है. 2 मार्च इसका आखिरी दिन होता है बाकी दोनों मौसमों से इसकी तुलना की जाए तो यह सबसे छोटा है. इन मौसमों के नाम के अंत में पढ़ने वाले शब्दों के अर्थ कुछ इस प्रकार होते हैं कलां का मतलब होता है बड़ा और खुर्द का मतलब होता है छोटा.
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