(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ये 20 खास बातें बताती हैं कि अयोध्या में बन रहा राम मंदिर दुनिया में सबसे खास है!
अयोध्या में बन रहा राम मंदीर दुनिया में सबसे खास होने वाला है, जिसकी झलक श्रीराम लला के गर्भगृह से लेकर मंदिर में लगे खंबों तक में दिखाई देगी.
Ram Mandir Pran Pratishtha: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर में तैयारियां जोरो शोरो पर हैं. 22 जनवरी को ये खास कार्यक्रम होने जा रहा है. इसके बाद दो महीनों तक अयोध्या में खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो 25 मार्च तक चलेंगे. इस दौरान अयोध्या में राम कथा, प्रवचन, रामलीला के खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसके लिए उत्तर प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा तैयारियां की जा रही हैं.
वहीं रामलला के निर्माणाधीन भव्य मंदिर में भी खास तैयारियां की जा रही हैं. जो कई विशेषताओं से सुसज्जित होगा. तो चलिए आज हम जानते हैं कि इस खास मंदिर की विशेषताएं क्या हैं.
राम मंदिर की विशेषताएं
- राम मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.
- राम मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी.
- राम मंदिर तीन मंजिला होगा और प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे.
- मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) होगा वहीं इसके पहले तल पर श्रीराम का दरबार होगा.
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इसके अलावा मंदिर में 5 मंडप होंगे नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
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राम मंदिर में लगे खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.
- मंदिर में पूर्व दिशा से प्रवेश करने पर 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से आएगा.
- दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की जाएगी.
- मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा यानी बड़ी-बड़ी दीवारें होंगी. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी.
- इन परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जाएगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा तो वहीं दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.
- मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान किया जाएगा.
- मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित किए जाएंगे.
- दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है जहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.
- मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते वहां की धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.
- मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. जिसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.
- वहीं मंदिर को जमीन की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
- मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन बनाए गए हैं, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.
- राम मंदिर में 25 हजार तक की क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण हो रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा होगी.
- मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा दी जाएगी.
- मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से हो रहा है. साथ ही पर्यावरण और जल संरक्षण का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. जिससे कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र हमेशा हरा भरा रहेगा.