ये पक्षी एक साथ गाते हैं गाना, नर और मादा एक दूसरे को करते हैं आकर्षित
धरती पर मौजूद सभी जानवरों में पक्षियों को सुंदर जानवरों में एक माना जाता है. अक्सर लोग पक्षी को देखकर उसकी तरफ आकर्षित होते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि गीत सुनाने वाली ये पक्षी कहां पर पाई जाती है.
दुनियाभर में लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. उनमें एक पक्षी भी है. लेकिन पक्षियों के साथ एक खास बात है, जो उन्हें अलग बनाती है. दरअसल अधिकांश पक्षी अपनी सुंदरता और सुंदर बोली के कारण इंसानों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. आज हम आपको एक ऐसी पक्षी के बारे में बताने वाले हैं, जो दिखने में सुंदर हैं और एक दूसरे साथी को आकर्षित करने के लिए गाना भी गाते हैं.
पक्षी की सुंदरता
पंक्षियों की सुंदरता हर इंसान का ध्यान आकर्षित करती हैं. भारत में गौरया को तो घरेलू चिड़िया भी कहा जाता है, क्योंकि गौरया इंसानों के साथ काफी सहज रहती हैं और उनके साथ खेलती हैं. ऐसे ही विदेश में भी कई चिड़िया दिखने में इतनी सुंदर होती हैं कि वो हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी चिड़िया के बारे में बताएंगे, जो गीत सुनाती है.
येलो फिंच
बता दें कि पक्षियों का संसार अपने आप में बहुत सुंदर है. इनके रंग और सहजता हर किसी को आकर्षित करता है. इनमें से ही एक अनूठा पंछी येलो फिंच है. अपने चमकीले पीले पंखों और खुशनुमा गीतों के लिए मशहूर है. बता दें कि येलो फिंच को गोल्डफिंच के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया में इनकी सिर्फ तीन प्रजातियां हैं. एक यूरोपीय गोल्फिंच, इसके अलावा अटलांटिक के पार दो प्रजातियां हैं. एक व्यापक रूप से पाया जाने वाला अमेरिकी गोल्डफिंच और दूसरा दक्षिण-पश्चिम अमेरिका में पाया जाने वाला लॉरेंस गोल्डफिंच है.
पीले रंग के फिंच के उनके चमकीले पीले रंग के पंख उन्हें आसानी से पहचानने में मदद करते हैं. लेकिन नर और मादाओं के रंगों में कुछ फर्क होता है. बता दें कि प्रजनन के मौसम के दौरान नर पीले रंग के फिंच का रंग चमकीला पीला होता है, जो मादाओं को आकर्षित करने में मदद करता है. वहीं मादा पीले रंग के फिंच का रंग हल्का होता है, आमतौर पर जैतून या भूरे रंग का होता है.
इनका गीत सुनाना
पीले रंग के फिंच अपने हंसमुख, मधुर गीतों के लिए जाने जाते हैं. जिन्हें अक्सर वसंत और गर्मियों के दौरान सुना जाता है. वे अपने साथी को कई तरह से बुलाते हैं और गाना गाते है, जो उनके बीच मजबूत संचार और आकर्षण का जरिया होता है. वहीं पीले रंग के फिंच आमतौर पर शाकाहारी होते हैं और मुख्य रूप से बीज खाते हैं, उनमें भी वे खासकर सिंहपर्णी, सूरजमुखी और थीस्ल जैसे पौधों के बीज खाते हैं. उनके पास भोजन करने का एक अनूठा तरीका है, वे अक्सर बीज तक पहुंचने के लिए उल्टा लटकते हैं.
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