किसी भी लोकतांत्रिक देश को चलाने के लिए वहां संविधान का होना आवश्यक होता है. भारत भी जब अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तो उसने सबसे पहले अपना संविधान बनाने पर काम किया. दरअसल, संविधान ही किसी राष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था का आधार होता है. यह न केवल सरकार की संरचना और अधिकारों को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी परिभाषित करता है. इसी कड़ी में चलिए आज आपको दुनिया के 5 सबसे पुराने संविधान के बारे में बताते हैं.
पहले नंबर पर सैन मरिनो
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का सबसे पुराना संविधान सैन मरिनो (San Marino) का है. माना जाता है कि यह संविधान 1600 में बना था और आज भी यह उपयोग में है. आज भी इस देश में सरकार के संगठन, इसके नागरिकों के अधिकार इसी संविधान से निर्धारित होते हैं.
दूसरे नंबर पर संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान
वहीं दूसरे नंबर पर आता है संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान. यहां का संविधान 17 सितंबर 1787 को पारित हुआ और इसे 4 मार्च 1789 से लागू किया गया. अमेरिकी की बात करें तो इसके संविधान में सात अनुच्छेद हैं, जो देश की संघीय व्यवस्था, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की संरचना को परिभाषित करते हैं. इसके अलावा, संविधान में अधिकारों का एक बिल (Bill of Rights) भी शामिल है, इसे 1791 में जोड़ा गया था.
तीसरे नंबर पर पोलैंड का संविधान
अभी कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी पोलैंड के दो दिवसीय दौरे पर गए थे. भारत से कोई पीएम पोलैंड 45 वर्षों बाद गया. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, यहां का संविधान दुनिया का तीसरा सबसे पुराना संविधान है. यहां का संविधान 3 मई 1791 में बना था. कहा जाता है कि ये पूरे यूरोप का पहला लिखित संविधान था.
चौथे नंबर पर नॉर्वे का संविधान
नॉर्वे का संविधान 17 मई 1814 को अपनाया गया और आज इसे दुनिया के सबसे पुराने और प्रचलित संविधानों में गिना जाता है. आपको बता दें, इस संविधान की रचना नॉर्वे को स्वीडन के साथ एक समझौते के तहत स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए की गई थी. यहां का संविधान लोकतंत्र, मानवाधिकारों, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देता है.
5वें नंबर पर नीदरलैंड का संविधान
नीदरलैंड का संविधान 1814 से 1815 के बीच अपनाया गया था. यहां के संविधान को भी दुनिया के सबसे पुराने संविधानों में गिना जाता है. माना जाता है कि इसी संविधान ने नीदरलैंड को एक संवैधानिक राजतंत्र में बदल दिया था. इसकी वजह से राजा के अधिकार सीमित कर दिए गए और संसद को शक्तियां दी गईं. समय के साथ इसमें कई बड़े संशोधन हुए. खासतौर से 1848 में जब देश में लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए इसमें व्यापक सुधार किए गए.
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